For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


-नहीं।
-क्यों?
-डरती हूँ,कुछ इधर-उधर न हो जाए।
-अब डर कैसा?बहुत सारी दवाएँ आ गयी हैं,वैसे भी हम शादी करनेवाले हैं न।
-कब तक?
-अगले छः माह में।
-लगता है जल्दी में हो।
-क्यों?
-क्योंकि बाकि सब तो साल-सालभर कहते रहे अबतक।
लड़के की पकड़ ढीली पड़ गयी।दोनों एक-दूसरे को देखने लगे।  फिर लड़की ने टोका
-क्यों,क्या हुआ?तेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ है क्या?


'मौलिक व अप्रकाशित' @मनन

Views: 574

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on May 4, 2015 at 12:54pm

आदरणीय जितेंद्र जी, ओमप्रकाश जी,मिथिलेश जी व आ॰राजेश कुमारी जी, स्नेहिल और प्रेरणास्पद टिप्पणियों के लिए आप सबका बहुत-बहुत आभार। 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 4, 2015 at 11:12am

बहुत अच्छी लघुकथा,आदरणीय मनन जी. इसे स्वतंत्रता कहलो या कुछ पल के रिश्ते, आज के दौर में इसे स्वीकार किया जाना ही पड़ेगा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 3, 2015 at 9:55am

आज की पीढ़ी की  स्वछन्दता का कहूँ या चरित्र का आईना कहूँ इस लघु कथा को ...बधाई इस कटाक्ष पर .

Comment by Omprakash Kshatriya on May 3, 2015 at 7:02am

अंतिम पंक्तियों ने लघुकथा में जान डाल दी .

आज के युग की सच्चाई .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2015 at 10:15pm

अब क्या कहें ? जो है सो है..

वैसे यह भी एक लघुकथा है.. अपने मक़सद में क़ामयाब..

शुभकामनाएँ, भाईेजी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 2, 2015 at 10:01pm

हा हा हा 

बहुत बढ़िया कटाक्ष आज के प्रेमी युगल की वास्तविकता पर 

बधाई इस प्रस्तुति पर 

Comment by Manan Kumar singh on May 2, 2015 at 8:31pm

आदरणीय महिमाजी, आभार आपका कथा के मर्म पर टिप्पणी करने के लिए। 

Comment by MAHIMA SHREE on May 2, 2015 at 8:23pm

आज के तथाकथित युगल प्रेमियों के सच को सही बुना आपने ..बधाई आपको

Comment by Manan Kumar singh on May 2, 2015 at 8:15pm

आदरणीय वीनस केसरी जी, हाहाहा   धन्यवाद 

Comment by Manan Kumar singh on May 2, 2015 at 8:14pm

आदरणीय विजय शंकर जी, प्रयास को प्रोत्साहित करने हेतु धन्यवाद। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या है अपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले…"
6 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
24 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
36 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल से मंच का शुभारम्भ करने के लिए बहुत बहुत हार्दिक…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब।  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
5 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service