For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक सर्प ने समझ मूषिका  

ज्यों पकड़ा एक छछुंदर को

उसी समय एक मोर झपट

कर दिया चोंच उस विषधर को |

 

फिर मोर भी हुआ धराशायी

घायल जो किया व्याध-शर ने

पर व्याध निकट जैसे पहुँचा

डस लिया व्याध को फणधर ने |

 

शेष रही बस छद्म-सुन्दरी

सृष्टि-रूप धर जीवन-थल पर

और सभी अंधे हो-होकर

नियति-भक्ष बन गए परस्पर |

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

-- संतलाल करुण   

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Santlal Karun on May 5, 2015 at 5:38pm

आदरणीय जितेन्द्र जी,

श्लाघात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 4, 2015 at 10:36am

बहुत सुंदर, आदरणीय संतलाल जी. बधाई स्वीकारे

Comment by Santlal Karun on May 3, 2015 at 1:55pm

आदरणीया सीमा अग्रवाल जी, लघुकथा की प्रशंसा के लिए सहृदय आभार !

Comment by Santlal Karun on May 3, 2015 at 1:53pm

आदरणीय लड़ीवाला जी, लघुकथा की सराहना के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on May 3, 2015 at 1:51pm

आदरणीय महिमा श्री जी, लघु कथा पर प्रेरक उद्गार के प्रति हार्दिक आभार !

Comment by Santlal Karun on May 3, 2015 at 1:01pm

आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी,

लघु कथा पर प्रशंसात्मक उद्गार के प्रति हार्दिक आभार !

Comment by seema agrawal on May 3, 2015 at 10:37am

शेष रही बस छद्म-सुन्दरी

सृष्टि-रूप धर जीवन-थल पर

और सभी अंधे हो-होकर

नियति-भक्ष बन गए परस्पर 

बहुत  सुन्दर .............. स्वयम  के सर्वश्रेष्ठ  होने  का  भ्रम और  छद्म के  व्याख्या  लाजवाब हुयी  है ............

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 2, 2015 at 11:08am

बहुत सुंदर 

Comment by MAHIMA SHREE on May 1, 2015 at 7:39pm

वाह.. बहुत सुंदर ..बचपन में पढ़ी पंचतंत्र की वो कहानी याद आ गई बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 1, 2015 at 7:32pm
वाह , बहुत ही सुन्दर! सारगर्भित , आदरणीय संतलाल करून जी, बधाई, सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shabla Arora updated their profile
2 hours ago
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"क्या ही कथ्य, क्या ही तथ्य और क्या ही प्रवाह .. वाह वाह वाह ..  आदरणीय अशोक भाईजी, आपने…"
22 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध की विभीषिका की चेतावनी देती उत्तम रचना हुई आ॰ अशोक जी। सभी भाव पसंद आए।"
22 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय। परिवर्तित मतला और शेर भी बहुत प्रभावी बन पड़ा है। मंच को लाभान्वित करने…"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service