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शम्स तो है वो मगर डूबा हुआ है-शिज्जु शकूर

2122 2122 2122

शम्स तो है वो मगर डूबा हुआ है

रौशनी से बेख़बर डूबा हुआ है

 

अपने होने का उसे अहसास तो हो

क्यों ग़मों में इस कदर डूबा हुआ है

 

क्या अँधेरा मेरी नज़रों में है मौजूद

या अँधेरे में ये घर डूबा हुआ है

 

रौशनी के सिर्फ इक ज़र्रे के दम पर

ठण्ड से वो बेअसर डूबा हुआ है           

 

इस जुनूने इश्क़ का होगा समर* क्या           *नतीजा

सोच में कोई इधर डूबा हुआ है

 

फिर गुजश्ता वक्त के किस्सों में तू क्यों

आँसुओं से तर ब तर डूबा हुआ है

 

उसकी दुनिया तो किताबों की है दुनिया

वो झुकाये अपना सर डूबा हुआ है

 

मौलिक व् अप्रकाशित 

 

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 7, 2015 at 8:52pm

आ0 शिज्जू भाई जी,   खूबसूरत गज़ल के लिये दाद कुबूल करे. सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 7, 2015 at 2:27pm

उसकी दुनिया तो किताबों की है दुनिया

वो झुकाये अपना सर डूबा हुआ है             लाजवाब!! जिन्दाबाद शेर!

उम्दा गजल पर ढेरों दाद व् मुबारकबाद कबूल फरमाएं आ० शिज्जू सर!

Comment by वीनस केसरी on May 7, 2015 at 1:37am

जिंदाबाद ग़ज़ल हुई है .......दिल खुश कर दिया ... वाह वा

क्या अँधेरे मेरी नज़रों में है मौजूद....... इस मिसरे में अँधेरे को अँधेरा कर लें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 7, 2015 at 12:32am
आदरणीय शिज्जु भाई जी कठिन रदीफ़ लेकर बड़ी ही सहजता से उम्दा अशआर निकाले है।
बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 6, 2015 at 8:18pm

आदरणीय शिज्जु भाई , मेरी सोच मे तो आपने बहुत कठिन रदीफ का चुनाव किया है , और उतनी ही खूब सूरती से निभा भी लिया है ।  क्या बात है , लाजवाब !! 

क्या अँधेरे मेरी नज़रों में है मौजूद

या अँधेरे में ये घर डूबा हुआ है 

फिर गुजश्ता वक्त के किस्सों में तू क्यों

आँसुओं से तर ब तर डूबा हुआ है

 

उसकी दुनिया तो किताबों की है दुनिया

वो झुकाये अपना सर डूबा हुआ है   --  इन अशआर के लिये बहुत बहुत बधाइयाँ ॥

 

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 6, 2015 at 7:58pm
उसकी दुनिया तो किताबों की है दुनिया
वो झुकाये अपना सर डूबा हुआ है॥
खूब ग़ज़ल हुयी है, बधाई आदरणीय शिजू शकूर जी , सादर।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 6, 2015 at 5:37pm

आहा ..क्या बात ..भाई वाह ..

Comment by Shyam Narain Verma on May 6, 2015 at 5:32pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर ग़ज़ल पर

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