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खो गई इंसानियत

यूँ तो दिखते ,
कितने ही चेहरे ,
मिलते-जुलते इंसानोँ से ।
पर , जब उनकी
फितरत देखी,
तो लगी हैवानोँ सी !!
करते हैँ शर्मसार ,
इंसानियत को ।
देख कर इनकी करतूतेँ ,
सवाल करते हैँ जानवर भी ,
कि क्योँ हैँ हम बदनाम !
जब कि इतना ज्यादा ,
गिर चुका है इंसान ।
खुदा ने उसे ज़हानत दी ,
कुछ भी करने की ताकत दी ,
फिर भी वह ,इतना गिर गया ?
कि लाश का कफ़न भी ,
नोँच कर ले गया !
घायल को देख कर ,
नहीँ पसीजा ,
उसका कलेजा ।
हाँ ..... उसके गहने और दौलत ,
लूट लिये सबसे पहले !
उफ़ ....अरे कोई ...
लाओ ढूँढ कर ,
कहाँ खो गयी
इंसानियत ?
और सबके ऊपर
हो गयी हावी,
हैवानियत !
जब मिल जायेगा कोई इंसान ,
तो नवाजा जायेगा उसको,
ख़ैर मक़दम से ।
और बतौर यादगार ,
उसे तोहफे मेँ दी जायेगी ,
इंसान की तसवीर ।
जिससे आने वाले कल मेँ ,
लोग जानें,
कि दुनिया मेँ कभी,
इंसानियत नाम की चीज़
भी हुआ करती थी ।।


( मौलिक एवम् अप्रकाशित )

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 13, 2015 at 6:18pm

आदरणीया ज्योत्स्ना जी ..बहुत ही सही चित्रण किया है आपने इस रचना के माध्यम से ..यथार्थ को चित्रित करती इस शानदार रचना के लिए सादर बधाई सादर 

Comment by jyotsna Kapil on May 13, 2015 at 5:48pm
आ समर कबीर जी आपकी दाद और बेशकीमती लफ्ज़ों के लिए तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आपकी।आपके हर लफ्ज़ ने बहुत हौसला अफ़ज़ाई की है मेरी।
Comment by jyotsna Kapil on May 13, 2015 at 5:45pm
आ मोहन सेठी जी अपने सराहा और मुझे लगा
कीएरा लेखन सफल हो गया ।सादर आभार एवम् नमन।
Comment by jyotsna Kapil on May 13, 2015 at 5:43pm
आ जितेंद्र पसटारिया जी सराहना के लिए तहेदिल से आभारी हूँ आपकी।आप जैसे मित्रों के लफ्ज़ बहुत कीमती हैं मेरे लिए।
Comment by Samar kabeer on May 13, 2015 at 11:20am
मोहतरमा ज्योत्सना कपिल जी ,आदाब,मुझे आपका लेखन पसंद है, यह रचना भी बहुत सुन्दर है ,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाऐं ।
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 13, 2015 at 7:25am

आज के हालात का वर्णन बिलकुल सत्य है ...इंसानियत अब इंसान से अलग हो चुकी ही ....बधाई ...सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 12, 2015 at 11:46pm

बहुत सुंदर प्रस्तुति, आदरणीया ज्योत्स्ना जी. बधाई आपको

Comment by jyotsna Kapil on May 12, 2015 at 10:38pm
आपकी सराहना अनमोल है मेरे लिए डा. विजय शंकर जी।सादर नमन एवं आभार।
Comment by jyotsna Kapil on May 12, 2015 at 10:37pm
आपका बहुत आभार एवम् नमन आ रोहित दुबे जी।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 12, 2015 at 6:09pm
बहुत सुन्दर प्रस्तुति , आदरणीय सुश्री ज्योत्सना कपिल जी, बधाई, सादर।

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