For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

यूँही दिन तमाम गुजर गए, यूँही शामें ख़ाली निकल गयी
तेरे फैसले ना बदल सके, मेरी आरज़ू ही बदल गयी

कभी बदगुमानी ने डस लिया,कभी बेबसी ने तबाह किया
कभी फ़र्ज़ ओ रिश्तों की बंदिशे,मेरी ख्वाइशो को कुचल गयी

यहाँ कुछ नहीं है वफ़ा हया,ये हवस का भूख का सिलसिला
तेरे साथ मैंने जो की कभी,मुझे नेकियां वो निगल गयी

मेरे झुकते कांधे भी मुझमेँ है,तेरे हौसलो का जुनून भी
कोई बात शेरों में ढल गयी,कोई बात आँखों में जल गयी

यही फैसला ना हुआ कभी,के वो कल था सच या है आज सच
यूँ ही बेरुखी में दिमाग की, वो वफ़ा की उम्र निकल गयी


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 424

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on May 18, 2015 at 11:40pm
बहुत आभार मिथिलेश सर
कोई बात नहीं जो किसी का ध्यान नही गया
शायरी बेरुखी का हासिल है
आप हमेशा मेरा हौसला बढ़ाते है
ये ही बहुत है
आपका आभार पुनः
सबका आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 18, 2015 at 11:20pm

आदरणीय मनोज भाई जी बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 

ना के स्थान पर कर ले क्योकि बह्र में उसका उच्चारण भी ही होगा. एक कठिन बह्र को आपने खूब निभाया है पता नहीं ये ग़ज़ल गुनीजनों की दृष्टि से कैसे छूट गई. शायद छंदोत्सव के आयोजन के समय पोस्ट हुई है ये ग़ज़ल. 

सादर 

Comment by Tanuja Upreti on May 16, 2015 at 10:12am
सुंदर उद्गारों के लिये बधाई
Comment by मनोज अहसास on May 15, 2015 at 10:58pm
शुक्रिया सर
Comment by Hari Prakash Dubey on May 15, 2015 at 9:41pm

मेरे झुकते कांधे भी मुझमेँ है तेरे हौसलो का जुनून भी
कोई बात शेरों में ढल गयी कोई बात आँखों में जल गयी.....वाह ,रचना सुन्दर है आ .Manoj kumar Ahsaas जी , बधाई आपको , बाकी  इसके तकनीकी पक्ष पर  विद्व्जन जरूर प्रकाश डालेंगे ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service