For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पगली बदली चाँद को ही खा गयी

2122 2122 212

चाँदनी बदली को इतना भा गयी 

पगली बदली चाँद को ही खा गयी 

जिसको रोता देख हमने की मदद

वो ही बिपदा बन मेरे सर आ गयी 

हक़ की मैंने की यहाँ है बात जब 

गोली इक बन्दूक की दहला गयी 

जिस घड़ी लव पे हँसी आयी मेरे 

वो उसी पल अश्क से नहला गयी 

जान से मारा मगर जब बच गया 

आ मेरे घावों को वो सहला गयी 

Views: 658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 2:38am

इस ग़ज़ल प्रस्तुति के लिए धन्यवाद आदरणीय.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2015 at 3:01pm

आदरणीय मिथिलेश जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ढेर सारी बधाई सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2015 at 3:00pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2015 at 2:59pm

आदरणीया कांता जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 25, 2015 at 12:49am

आदरनीय आशुतोष भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है ,  दिली मुबारक बाद स्वीकार करें ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 24, 2015 at 11:21pm

आदरणीय आशुतोष जी इस खुबसूरत ग़ज़ल के लिए शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 

Comment by shree suneel on May 24, 2015 at 10:25pm
आदरणीय आशुतोष जी अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक शुभकामनाएं.
Comment by kanta roy on May 24, 2015 at 12:44pm
बेहद सुंदर भाव में आपने यह रचना रचि है चाँदनी का भा जाना बदली को ..... अति सुंदर बधाई आदरणीय डा. आशुतोष मिश्रा जी इस शानदार रचना के लिये
Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 24, 2015 at 11:47am

आदरणीय केवल भाई जी .आप सबके स्नेह और प्रतिक्रियाओं से सतत कुछ न कुछ लिखने की प्रेरणा मिलती रहती है ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 24, 2015 at 11:46am

आदरणीय मनोज जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service