१२१२-११२२-१२१२-२२
निग़ाहे नाज़ से देखो, करो शिकार मेरा
तुम आजमाओ सनम दिल ये एक बार मेरा
.
तू आरज़ू है मेरी और तू है प्यार मेरा
तेरी वफ़ा पे है अब जीने का मदार मेरा
.
तेरे शबाब को नज़रों से क्यूँ पिया मैंने
तमाम उम्र न उतरेगा अब ख़ुमार मेरा
.
मुआमलात-ए-जवानी कहे नहीं जाते
न पूछ कौन है हमदम, कहाँ क़रार मेरा
.
वो मुझसे बात तो करता है, पर वो बात नहीं
" बहुत सलीक़े से रूठा हुआ है यार मेरा "
.
वो बदगुमाँ है जो, कमज़र्फ़ मुझको मानता है
फ़लक से ऊँचा है दुनिया में यूँ वक़ार मेरा
.
लो आज ख़्वाबों की नीलामी कर रहा हूँ मैं
बिसाते-दह'र है और आख़िरी क़िमार मेरा
.
शजर से टूट गया, जो हवा के झौंके से
मैं ज़र्द पत्ता हूँ, खुद पर न इख़्तियार मेरा
.
ये शायरी है मेरा शौक़ मेरा इश्क़-ओ-जुनूँ
जहाँ भी सजती है महफ़िल, वहाँ दयार मेरा
.
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ.राहुल जी.
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ.वीनस केसरी जी. नवाज़िश.
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. कबीर साहब. नवाज़िश.
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. मनोज कुमार जी.
हौसला अफ़्ज़ाई के लिए शुक्रिया आ. narendrasinh chauhan जी .
वाह वा दिनेश साहब बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है ...
बहोत खूब
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