2122 2122 2122 2
फाईलातुन फाईलातुन फाईलातुन फा
हम किसी से मिलने उसके घर नहीं जाते
आप भी है जिद में मेरे दर नहीं आते
बेबसी महबूब की किस भाँति समझाऊँ
आज भी उनको मेरे चश्मेतर नहीं भाते
जिन्दगी बीती है उनकी सूफियाना सी
मस्त तो है रहते साजो पर नहीं गाते
इश्क में हूँ जांबलब मेरा भरोसा क्या
फ़िक्र उनको कब है चारागर नहीं लाते
एक साया उसका बांटी जिन्दगी हमने
अन्यथा जीवन में कुछ भी कर नहीं पाते
(मौलिक व् अप्रकाशित )
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