दवा है दर्द की कह कर पिला देगा मुझे कोई
गिरा कर अश्क फिर अपने बहा देगा मुझे कोई
सिख़ाओ मत मुझे जीना न है अब जिन्दगी प्यारी
दिखा कर प्यार के सपने जला देगा मुझे कोई
गमो की राह अच्छी है न आता पास दुश्मन भी
डगर सुख की चले तो बददुआ देगा मुझे कोई
निराले खेल दुनिया के कभी खेला अगर मैने
न दोगे साथ मेरा तो हरा देगा मुझे कोई
न है हर फूल में काँटे हमेशा सोचता हूँ मै
न बदला सोच अपना तो मिटा देगा मुझे कोई।
अखंड गहमरी मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय मिथिलेस वामनकर जी, आदरणीय सौरभ पाडे़ जी सुझाव एवं मागदर्शन के लिए नमन आपके बताये रास्ते पर चलने का पूरा प्रयास करूँगा
अादणीय मनोज कुमार जी, आदणीया डा गोपाल नारायण श्रीवास्तवा जी, आदणीय गुरूवर गिरिराज भंडारी जी, आदरणीय नरेन्द्र सिन्हा जी, आप सभी को नमन
प्रयासरत रहें, अखण्ड भाई. आपमें बहुत सुधार हुआ है लेकिन यह भी सत्य है कि मीलों चलना है.
निराले खेल दुनिया के कभी खेला अगर मैने.. निराले खेल दुनिया के कभी खेले अगर मैने
ऐसे ही अंतिम शेर के दोनों मिसरों मॆं कायदे का सम्बन्ध नहीं बन पाया है. व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धि को आ. मिथिलॆश भाई बता चुके हैं.
शुभेच्छाएँ
आदरणीय अखंड जी, बहुत बढ़िया गज़ल हुई है , सभी अशआर बढ़िया हैं । इस बेहतरीन गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।
न है हर फूल में काँटे हमेशा सोचता हूँ मै
न बदला सोच अपना तो मिटा देगा मुझे कोई। .....अपनी सोच बदली जाती है ......इसलिए.... न बदली सोच अपनी तो मिटा देगा मुझे कोई।
आदरणीय अखंड भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , सभी शे र बढ़िया हैं । आपको हार्दिक बधाइयाँ गज़ल के लिये ।
achchhe hai gajal , Gahmaree jee
दवा है दर्द की कह कर पिला देगा मुझे कोई
गिरा कर अश्क फिर अपने बहा देगा मुझे कोई
लाजवाब , बहुत खूब सुन्दर रचना
सुन्दर सुन्दर सुन्दर आदरणीय श्री Akhand Gahmari जी .
आदरणीय अखंड गहमरी जी इस सुन्दर रचना पर बधाई , सादर ।
दवा है दर्द की कह कर पिला देगा मुझे कोई
गिरा कर अश्क फिर अपने बहा देगा मुझे कोई.....सुन्दर !
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