For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किन्तु इनका क्या करें ? (नवगीत) // -सौरभ

खिड़कियों में घन बरसते
द्वार पर पुरवा हवा..
पाँच-तारी चाशनी में पग रहे
सपने रवा !
किन्तु इनका क्या करें ?

क्या पता आये न बिजली
देखना माचिस कहाँ है
फैलता पानी सड़क का
मूसता चौखट जहाँ है
सिपसिपाती चाह ले
डूबा-मताया घुस रहा है
हक जमाता है धनी-सा
जो न सोचे..
क्या यहाँ है ?

बंद दरवाजा, खुला बिस्तर,
पड़ी है कुछ दवा..
किन्तु इनका क्या करें ?

मात्र पद्धतियाँ दिखीं  
प्रेरक कहाँ सिद्धांत कोई
क्या करे मंथन
विचारों में उलझ उद्भ्रान्त कोई
चढ़ रहा बाज़ार
फिर भी क्यों टपकता है पसीना ?
सूचकांकों के गणित में
पिट रहा है क्लान्त कोई

एक नचिकेता नहीं
लेकिन कई वाजश्रवा
किन्तु इनका क्या करें ?

सिमसिमी-सी मोमबत्ती
एक कोने में पड़ी है
पेट-मन के बीच, पर,
खूँटी बड़ी गहरी गड़ी है
उठ रही
जब-तब लहर-सी
तर्जनी की चेतना से,
ताड़ती है आँख जिसको
देह-बन्धन की कड़ी है

फिर दिखी है रात जागी
या बजा है फिर सवा..
किन्तु इनका क्या करें ?
****************************
-सौरभ
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1386

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 10, 2017 at 12:18pm
Bahut hi sunder navgeet .

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 10, 2017 at 12:04pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपसे मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया मुझे भी उत्साहित कर रही है. यह अवश्य है कि नवगीतों की बिम्बात्मकता आम गीतों से भिन्न होती है और नवगीतों को सामान्य गीतों से विलग करने के प्रमुख कारणों में से है. आपको मेरी प्रस्तुति रुचिकर लगी इस हेतु हार्दिक धन्यवाद. वस्तुतः यह नवगीत ओबीओ के बाहर साहित्यांचल में भी सुधीजनों द्वारा प्रशंसित हुआ है. अतः ओबीओ की रचनाओं के प्रति वैसे भी गरिमा के भाव उपजते हैं.  

आपके ही कारण, अपनी पस्तुति पर मेरा भी आना संभव हो पाया है. इस केलिए विशेष धन्यवाद तो बनता ही है. 

शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 10, 2017 at 12:04pm

आदरणीय सन्तलाल करुण जी, आपकी टिप्पणी पर धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए विलम्ब से आना खल रहा है. आप्का सादर धन्यवाद. 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2017 at 5:52pm
नवगीत और क्षणिकाएं मुझे हमेशा आकर्षित करते हैं, पसंद हैं। आपकी रचनाओं से भी नवगीत समझने/सीखने की कोशिश करता हूं। हर बंद में प्रयुक्त मुख्य शब्दों में समाहित/सांकेतिक वृहद भावों से परिपूर्ण बेहतरीन नवगीत को पढ़कर, फिर टिप्पणियों का अध्ययन कर, पुनः रचना पढ़कर नवगीत की ताक़त/सम्प्रेषणता से बहुत प्रभावित हुआ हूं। । सादर हार्दिक बधाई और आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी।
Comment by Santlal Karun on September 1, 2015 at 5:56pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, आज आप के ब्लॉग पर आना हुआ, तो इस ताज़े-टटके नवगीत से कुछ नवीन संवेदनाओं की अनुभूति हुई -- सधी हुई गीत रचना मन तक को छू गई | इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 13, 2015 at 11:26pm

आदरणीय गोपाल नारायनजी, रचना को आपसे अनुमोदन मिला, मन में अपार संतोष है. सादर धन्यवाद आदरणीय


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 13, 2015 at 11:25pm

आदरणीय चन्द्रशेखरजी, हौसलाअफ़ज़ाई केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 13, 2015 at 11:25pm

आदरणीय प्रदीपजी, हार्दिक धन्यवाद

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 7, 2015 at 9:29am

आ० सौरभ जी

अद्भुत  नव गीत . भावों की गम्भीरता देखते ही बनती  है .
बंद दरवाजा, खुला बिस्तर,
पड़ी है कुछ दवा..
किन्तु इनका क्या करें ? ----इन तीन पंक्तियों में मानो एक आख्यान  समाहित है .पूरा गीत ही  उद्धरणीय  है  किसी एक बंद की बात क्या करें ----------------- सादर .

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on July 6, 2015 at 9:30pm

वाह वाह क्या बात है सर
ज़िंदाबाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
9 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
9 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service