बाबूजी जी के श्राद्ध कर्म में वे सारी वस्तुएं ब्राह्मण को दान में दी गयी जो बाबूजी को पसंद थे. शय्या-दान में भी पलंग चादर बिछावन आदि दिए गए. ऐसी मान्यता है कि स्वर्ग में बाबूजी इन वस्तुओं का उपभोग करेंगे. लोगों ने महेश की प्रशंशा के पुल बांधे।
"बहुत लायक बेटा है महेश. अपने पिता की सारी अधूरी इच्छाएं पूरी कर दी."
"पर दादाजी को इन सभी चीजों से जीते जी क्यों तरसाया गया?"- महेश का बेटा पप्पू बोल उठा.
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(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय गिरिराज जी आपने गिरि गंभीर गिरा से ग्रहणीय शेर को अर्ज किया ...आदाब अर्ज है बहुत बहुत आभार!
लोंक लाज वश , अधूरी इच्छा पूर्ण करनी होती है , बुजुर्गों का जीवन भले ही नर्क कर दिया हो पर मरने के बाद बेटा स्वर्ग जरुर दिलाता है पंडित का पेट भर कर .
लघु कथा के माध्यम से समाज में चेत्नना जागृत करने के प्रयास को नमन . आदरणीय सिंह साहब जी , सादर
बहुत खूब , आदरणीय यही हो रहा है , हार्दिक बधाई , प्रतिक्रिया मे अभी कही गज़ल का शे र देना चाहता हूँ ---
रहा जब तक सुनी तुमने नहीं, जिस शख़्स की यारो
लिपट कर आज रोना क्यूँ , कि वो उत्तर नहीं देता ॥
आदरणीय मोहन सेठी जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार!
आदरणीय मिथिलेश जी, आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार!
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीया परी जी !
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय अमन कुमार जी!
सही प्रहार किया आपने दिखावे की दुनिया पर ...बधाई
आदरणीय जवाहर जी बधाई इस संवेदनशील लघुकथा के लिए....
बाबूजी जी के श्राद्धकर्म में वे सारी वस्तुएं ब्राह्मण को दान में दी गयी जो बाबूजी को पसंद थी. शय्या-दान में भी पलंग चादर बिछावन आदि दिए गए.
ऐसी मान्यता है कि स्वर्ग में बाबूजी इन वस्तुओं का उपभोग करेंगे. अतः लोगों ने महेश की प्रशंसा के पुल बांधे।
"बहुत लायक बेटा है महेश. अपने पिता की सारी अधूरी इच्छाएं पूरी कर दी."
"पर दादाजी को इन सभी चीजों के लिए जीते जी क्यों तरसाया गया?"- महेश का बेटा पप्पू बोल उठा.
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