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गीत (समीक्षार्थ)

 
मनवा गाये, मनवा गाये,
मोरा मनवा गये रे

इक गौरैया घर में आई
चुन-चुन तिनका नीड़ बनायी
किया है उसने प्रियतम संग फिर
प्रेम सगाई रे
मनवा गाये मनवा गाये ................

इत्-उत् मटक-मटक दिखलाती
पिया को अपने खूब रिझाती
नित अठखेलियाँ करते दोनों
ज्यूँ भँवर बौराई रे
मनवा गाये ..................................

इक दूजे रंग रंगने लगे थे
प्रणय निवेदन करने लगे थे
आने को थी संतति उनकी
हुए सुखारे रे
मनवा गाये .............................

साँझ-सकारे शोर मचाते
घर में इधर उधर मंडराते
उनकी खुशियों में थी मै भी
मन से शामिल रे
मनवा गाये ........................

गौरैया जब-तब ही निकलती
हो गइ थी अब उसकी जचकी

एक संग फिर कई चूजों ने
अलख जाई रे
मनवा गाये ..................


घर मेरा अब चहक उठा था
मन का कोना महक उठा था
देख कर उसे ममता लुटाते
मै मुस्काई रे
मनवा गाये .........................

खा पी कर सब पुष्ट हुए थे
पंख उनके बलिष्ठ हुए थे
भरी उड़ान फिर ऐसी सबने
देखा ना मुड़ के रे
कुछ ना भाये, कुछ ना भाये, अब तो कुछ ना भाये रे........................

थी गौरैया जितनी आकुल
मेरा मन था उतना व्याकुल
उसकी पीर ने मेरी भी थी,
पीर बधाई रे
रोयें दोनों, रोयें दोनों, रोयें दोनों माँएं रे ..................

मीना पाठक
 
   मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 480

Comment

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2015 at 8:20pm

आपका गीत free verse libre  है . इसमे समीक्षा की गुंजाईश कम  होती है . शिल्प की अपेक्षा भाव की प्रमुखता होती है  और गीत में भाव तो हैं ही . सादर .

Comment by Meena Pathak on July 8, 2015 at 6:03pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया कांता जी | सादर 

Comment by Meena Pathak on July 8, 2015 at 6:03pm

मार्गदर्शन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश जी | सादर 

Comment by Meena Pathak on July 8, 2015 at 5:55pm

आदरणीय धर्मेन्द्र जी बहुत बहुत आभार 

Comment by kanta roy on July 8, 2015 at 4:05pm
वाह !!! बहुत ही खूबसूरत गीत है ..... बधाई स्वीकार करे आदरणीया मीना पाठक जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 8, 2015 at 4:01pm

आदरणीया मीना जी, सुन्दर गीत की प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई 

गीत में तुकांत टेक होता तो गीत का आनंद बहुगुणा हो जाता. 

टंकण त्रुटी और तुकांत की दृष्टि से रचना पर एक बार पुनः ध्यान निवेदित है.

सादर 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 8, 2015 at 11:20am

अच्छा गीत है आदरणीया मीना जी, दाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

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