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तुम्हारी समझ से वो सौगात होगी ,मगर मेरी नजरों में खैरात होगी
मुझे चाहिए मेहनतों के निवाले, जिये रहमतों पर तेरी जात होगी.
न जाने कहाँ अब मुलाकात होगी ,जहाँ आमने सामने बात होगी
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Comment
श्री सुनील जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई हार्दिक आभार आपका.
आ० डॉ० गोपाल भाई जी ,ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका तहे दिल से आभार.
बढ़ो तुम जरा से बढ़ें हम जरा से,
मिलन की कहीं से शरुआत होगी बहुत सुन्दर आदरणीया दीदी .
आ० जवाहर लाल सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार
आ० मुकेश श्रीवास्तव जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से आभार आपका सादर
मुझे चाहिए मेहनतों के निवाले,
जिये रहमतों पर तेरी जात होगी.
मुहब्बत हमारी जहाँ कैद हो वो
,बड़ी खूबसूरत हवालात होगी
वैसे हर पंक्तियाँ खूबसूरत हैं पर उपर्युक्त ख़ास लगी मुझे आदरणीया राजेश कुमारी जी!
बधाई मित्र - सुन्दर रचना के लिए -
राहुल दांगी जी ,आपका तहे दिल से आभार |
आ० धर्मेन्द्र जी , ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहित हूँ दिल से बहुत बहुत आभार आपका |
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