For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा – नकल /ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

परीक्षाहाल से गणित का प्रश्नपत्र हल कर बाहर निकले रवि ने चहकते हुए जवाब दिया, “ निजी विद्यालय में पढ़ने का यही लाभ है कि छात्रहित में सब व्यवस्था हो जाती है.”

“अच्छा .” कहीं दिल में सोहन का ख्वाब टूट गया था.

“चल . अब , उत्तर मिला लेते हैं.”

“चल.”

प्रश्नोत्तर की कापी देखते ही रवि के होश के साथ-साथ उस के ख्वाब भी भाप बन कर उड़ चुके थे. वही सोहन की आँखों में मेहनत की चमक तैर रही थी .

 ---------------------------

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 611

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on July 21, 2015 at 2:10pm
आदरणीय मिथिलेश जी
प्रणाम ।
लघुकथा वास्तव में कमजोर बानी है ।
आप ने इस ओर ध्यान दिलाया ।
आप का दिल से शुक्रिया ।
Comment by Omprakash Kshatriya on July 21, 2015 at 2:06pm
आदरणीय लक्ष्मण जी
प्रणाम ।
आप की बात बिलकुल सही है ।
शायद लिखने की जल्दबाजी ने लघुकथा को कोपरिपक्व होने नहीं दिया दिया। कमजोर कथा आप के सामने आ गई ।
शुक्रिया आप का ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 21, 2015 at 12:21pm

आदरणीय ओमप्रकाश जी रचना के मर्म को तो शीर्षक ने ही स्पष्ट कर दिया है. दरअसल दो बातें है -

//निजी विद्यालय में पढ़ने का यही लाभ है कि छात्रहित में सब व्यवस्था हो जाती है.//

//कापी देखते ही रवि के होश के साथ-साथ उस के ख्वाब भी भाप बन कर उड़ चुके थे.//

इन दो बातों में पहली बात गलत सिद्ध हो रही है कि  छात्रहित में सब व्यवस्था हो जाती है. दरअसल नक़ल के तात्कालिक से व्यवस्था के दूरगामी दुष्परिणाम होते तो कथा निखर जाती. परीक्षा हॉल से निकलते ही नक़ल की व्यवस्था और दूसरे पल दुष्परिणाम को ले आना कृत्रिम लग रहा है. घटनाओं को घटित होने देना अलग बात है और बलात घटित कराना और परिणाम निकालना अलग बात. खैर ये मेरी व्यक्तिगत सोच है. मैं लघुकथा का बिलकुल नया अभ्यासी हूँ और इसके शिल्प को भी समझ नहीं पाया हूँ लेकिन एक पाठक की हैसियत से प्रतिक्रिया दे रहा हूँ. गुनीजनों की प्रतिक्रिया से बात स्पष्ट होगी.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 21, 2015 at 12:17pm

लघु कथा के पीछे आके  भाव अच्छे है पर लघु कथा का कथ्य कमजोर लग रहा है जो छाप नहीं छोड़  रहा श्री ओमप्रकाश जी | सादर 

Comment by Omprakash Kshatriya on July 21, 2015 at 11:38am
आ विनय कुमार जी
प्रणाम ।
आप की लघुकथा पर टिपण्णी मुझे सदा ही प्रोत्साहित कराती है ।
Comment by Omprakash Kshatriya on July 21, 2015 at 11:36am
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ।
प्रणाम ।
लघुकथा का मुख्य उद्देश्य नक़ल कर आगे बढ़ने वाले छात्रो व विद्यालय को पोल - व्यापम धोटाले की तरह उजागर करना मात्र है । इस से कई छात्रो के सपने चूर हो जाते है ।

निजी विद्यालय नक़ल की व्यवस्था पर्वेक्षक को कह कर कर देते है ।

सरकारी विद्यालय के बच्चे इस मामले में पिछड़ जाते है ।
यही बताना है ।

आप कोई और सुजाव दीजिए । लघुकथा को बेहत्तर करने में । आभारी रहूँगा ।
Comment by विनय कुमार on July 20, 2015 at 9:49pm

नक़ल पर मेहनत की श्रेष्ठता बताती लघुकथा के लिए बधाई आदरणीय..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 20, 2015 at 9:36pm

आदरणीय ओमप्रकाश जी इस लघुकथा का मर्म समझ आ रहा है किन्तु कथानक और कथ्य स्पष्ट नहीं हो पा रहा है. मेहनत का कोई विकल्प नहीं है. बिलकुल ये बात उभर रही है मगर कथानक उसे स्पष्ट नहीं कर पा रहा है 

रवि ने नक़ल से और सोहन ने मेहनत से परीक्षा दी.

जब दोनों ने प्रश्नोत्तर मिलाये तो रवि के होश उड़ गए और सोहन खुश हो गया. 

यदि यही कथ्य है तो इसमें कथा कहा है ये नहीं समझ पा रहा हूँ. और ये निजी विद्यालय वाली भी गुत्थी भी समझ नहीं आई.

सादर 

Comment by Omprakash Kshatriya on July 20, 2015 at 8:55pm

सभी पाठको से अनुरोध है कि मेरी लघुकथा की बेझिझक समालोचना करें. इस से मुझे लघुकथा संवारने का मौका मिलेगा.

Comment by Omprakash Kshatriya on July 20, 2015 at 8:54pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH  जी 

प्रणाम.

आप की सराहना मुझे प्रोत्साहन देती है . 

आभार आप का 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service