22 22 22 22 22 2
शीशा से पत्थर जब भी टकराता है
पत्थर पन कुछ और कड़ा हो जाता है
मुँह की बातों का, आँखें प्रतिकार करें
सही अर्थ तब शब्द कहाँ जी पाता है
लाख बदल के बोलो भाषा तुम लेकिन
लहज़ा असली कहीं उभर ही आता है
साजिंदों ने यूँ बदलें हैं साज बहुत
गाने वाला गीत पुराना गाता है
तुम पर्वत पर्वत कूदो , मै नदिया तैरूँ
मित्र, हमारा बस ऐसा ही नाता है
फिर से ताज़ा मत कर लेना जख़्मों को
घाव सूखते वक़्त बहुत खुजलाता है
अब्र ! सुफैदी में अपनी कालिख भर ले
इक सादा दिल, प्यासा तुझ तक आता है
यूँ तो बातें खूब सुनी है मैनें भी
गया सुबह वो, संझा वापस आता है
कल आँधी आयी थी, देखो गुलशन में
आज परिंदा फिर से नीड सजाता है
अपना गुस्सा पुल पे क्यों दिखलाते हो
दो ग़ैरों को ये तो बस मिलवाता है
भ्रम में मत पड़ना मेरी मुस्कानों से
निजाम, अड़ा के नेजा मुझे हँसाता है
***********************************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गिरिराज सर लाजवाब रचना है, हर शे र के लिये दाद हाज़िर है
आदरणीय गिरिराज सर, शानदार ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाए.
मतले पर चर्चा हो गई है जो संशोधन के बाद हासिल-ए-ग़ज़ल भी है ....
ये शेर खूब कहा ---
लाख बदल के बोलो भाषा तुम लेकिन
लहज़ा असली कहीं उभर ही आता है
क्या क़रारा व्यंग्य है...
आदरणीय समर भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ॥ आपकी सलाह अनुसार शीशा को शीशे कर लूँगा । आपका बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय नरेन्द्र भाई , आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
आदरणीय राहुल भाई , आपका बहुत बहुत आभार ।
आदरणीय हर्ष भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।
आदरणीय विजय भाई , सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।
आदरणीय नादिर खान भाई , बहुत दिनो बाद आपकी उपस्थति से मन खुश हो गया । हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ॥
आदरनीया कांता जी , हौसला अफज़ाई का दिली शुक्रिया ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online