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आदरणीय शशी जी,हार्दिक बधाई!आज के दौर में ईमानदार और मेहनती लोग इसलिए पिछड जाते हैं कि वो चापलूसी नहीं कर पाते!
आदरणीय शशि जी इस सुंदर लघु कथा के माध्यम से आपने बड़ी कथा कह दी ..गागर में सागर ..के लिए तहे दिल बधायी सादर
आदरणीया शशि बंसल जी, भावनात्मक तौर पर कथा अपना संदेश देने में सफल रही है इसके लिए बधाई स्वीकार करें। इस लघुकथा पर कुछ तकनीकी पक्ष पर भी आपका ध्यान दिलाना चाहूँगा। लघुकथा विधा के पितामह आदरणीय योगराज जी के अनुसार लघुकथा को अलग अलग काल खंडों में विभाजित नहीं करना चाहिए। नहीं तो लघुकथा लघुकथा नहीं रह जाती है। लघुकथा किसी एक समय में घटी घटना या दुर्घटना से ही बनती है लेकिन यह कथा दो खंडों में विभाजित हो गई है।
//"और झटको मेरा हाथ।" को //'और झटको मेरा हाथ।'// में बंद किया जाना चाहिए क्योंकि यह डायरेक्ट संवाद नहीं है।
आदरणीया शशि जी, बढ़िया लघुकथा हुई है हार्दिक बधाई
आदरणीया शशिजी आपनेे कॉरपोरेेट के घिनौने रुप को खूब बयाँ किया है बधाई आपको
लघु कथा पढ़ते ही हमे भी एक चुभन सी महसूस हुई एक मेहनती इंसान के लिए कितना बड़ा शोषण है ये लघु कथा अपना सन्देश छोड़ने में कामयाब है हर फील्ड में सतर्कता बहुत जरूरी है |बहुत बहुत बधाई शशि बंसल जी
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