For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अख़बारों में (सुझाव के निमित्त प्रस्तुत)

बिक जाता है चन्द रूपये की खातिर अख़बारों में।
बहुत तलाशा मिला नहीं पर सच आख़िर अख़बारों में।।

बेंच रहे हैं ज़हर मिलाकर भोजन में बाज़ारों में।
विज्ञापन की बाढ़ आ गयी पैसे से अख़बारों में।।

पेड़ बचाओ करो सफाई ऐसे कैसे संभव है।
भौतिकता का नशा बेंचते रोज़ रोज़ अख़बारों में।।

चोरी और अपराध रुकेगा किस तरहा से कहिये ना।
महंगी वाली कार-मोबाइल दिखते जब अख़बारों में।।

लोभ-मोह का त्याग सिखाते गुरुकुल सारे गायब हैं।
मैकाले की नीति बाँचते विद्यालय अखबारों में।।

पौधों में तुम खाद डालते स्वार्थ-संग्रहण वाली जब।
फिर काहें तुम ढूँढ़ रहे हो आज "राम" अख़बारों में।।

जब पैदा हैं घर घर रावण राम राज्य आएगा कैसे ?
सीता हरण की ख़बर पढ़ो बस रोज़ रोज़ अख़बारों में।।

कंश वंश का मन्त्र जापता रखता कोख कोख पर पहरा।
अष्टभुजा का प्राण चीखता शब्द बना अख़बारों में।।

पानी साहेब ढूँढ़ रहा हूँ मनु पुत्रों की आँखों में।
कुम्हलानें लग गया है पंकज लिख देना अखबारों में।।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 412

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2015 at 3:14am

प्रदत्त सुझावों पर अमल करें .. शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 1, 2015 at 4:08pm

आदरणीय पंकज जी, प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई . आदरणीय रवि जी का सुझाव बहुत बढ़िया है. सादर 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 31, 2015 at 3:05pm
आदरणीय रवि शुक्ल जी सादर आभार; सुझाव पर ध्यान दूँगा
Comment by Ravi Shukla on July 31, 2015 at 2:50pm

आदरणीय पंकज जी

रचना में भाव अापने व्‍यक्‍त किये । प्रयास के लिये साधुवाद

इसकी चमक और भी बढ़ सकती है । हमारा सुझााव है आरणीय तिलक राज जी कपूर एवं आदरणीय वीनस केसरी जी की ग़ज़ल की कक्षा एवं ग़ज़ल की बाते में दिये गये सभी लेखों को क्रम से पढे बहुत ही विस्‍तुत एवं सुगम तरीके से जानकारी दी गई है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service