For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सकल धरा पर तेरे रूप का ग्रन्थ लिखूँ

जितनी सुन्दर तुम हो उतने, सुंदर सुंदर छन्द लिखूँ।
जी करता है सकल धरा पर, तेरे रूप का ग्रन्थ लिखूँ ।।

झुकी निगाहें बिखरे गेसू, मन का मौसम सरस हुआ।
जी करता बस देखूँ देखूँ, तेरी छवि का दरश हुआ।।

रिमझिम बरस रहे सावन की, शीतल शीतल बूँद लिखूँ।
जी करता है सकल धरा पर, तेरे रूप का ग्रन्थ लिखूँ।।1।।

टपक रहीं बालों से बूँदें, धुली हुई इक पुष्पलता सी।
खुले अधर पर ठहरी बूँदें, जगी अभीप्सा यहाँ ख़ता की।।

बेसुध कर दे मन को पल में, ऐसी तुझे सुगंध लिखूँ।।
जी करता है सकल धरा को, तेरे रूप का ग्रन्थ लिखूँ।।2।।

होंठों पर मुस्कान का जादू, रति ये प्राण अनंग हुआ।
हिय पर होता नहीं है काबू, व्रत पंकज का भंग हुआ।।

रूप तेरा और मेरा समर्पण, उपवन और विहंग लिखूँ।
जी करता है सकल धरा पर, तेरे रूप का ग्रन्थ लिखूँ।।3।।

मनस नगर में प्रश्न कई थे, अब जाना कि तुम थे उत्तर।
चिंतन पथ पर धूप बहुत थी, छाँव मिली है तुमसे मिलकर।।

भटक रहा था व्याकुल होकर, अब खुद को निर्द्वंद लिखूँ।।
जी करता है सकल धरा पर, तेरे रूप का ग्रन्थ लिखूँ।।4।।


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 19, 2015 at 1:00pm
सादर आभार जवाहर लाल सर
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2015 at 11:31am

बहुत सुन्दर गीत! आदरणीय pankaj जी!

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 18, 2015 at 8:03pm
सादर प्रणाम निवेदित है विजय सर।
ऊर्जा प्रदान करनें के लिए धन्यवाद
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 18, 2015 at 8:02pm
सादर अभिवादन और आभार स्वीकारें आदरणीय राजेश कुमारी मैम

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 18, 2015 at 7:22pm

बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति ..हार्दिक बधाई आपको पंकज कुमार जी 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 18, 2015 at 3:42pm

आदरणीय विजय सर सादर प्रणाम और हार्दिक आभार

Comment by vijay nikore on August 18, 2015 at 1:06pm

सुन्दर भाव ! बधाई।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 18, 2015 at 9:17am
आदरणीय मिथिलेश सर और रवि शुक्ल सर आप सभी को हार्दिक आभार्।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 17, 2015 at 12:26pm

आदरणीय पंकज जी इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

Comment by Ravi Shukla on August 17, 2015 at 10:19am

आदरणीय पंकज जी बधाई सुन्‍दर गीत पर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
23 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service