For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

3
ए नीम के बृक्ष!
न तान अपना इतना बड़ा वक्ष।
आज तेरी छाॅंह में बैठे ये मानव,
कल, कुल्हाड़ी लेकर
एकदम न काटकर 
तेरी इन गाॅंठों को, छाल को 
ले जायेंगे.....
टोंच टोंच कर, काट काट कर, खोद खोद कर,
जला भून कर फेक देंगे कडुवी कहकर।
और तेरी कोमल अंगुलियाॅं
कुचल कुचल कर फेकेंगे।
तेरी फली फूली निमोरियाॅं सुनहरी
पीली पीली...
ये कहेंगे, सुंदर तो हैं पर कड़ुवी हैं....
थू... थू... थू.... बेकार हैं।
पर!
न घबड़ा..... तेरी दाबत के लिये
कौए?
एक दो नहीं ‘‘बहुत से‘‘
पहले से तैयार हैं।
29अप्रैल 1971
पूर्णतः मौलिक और अप्रकाशित 
डॉ टी आर शुक्ल , सागर। 

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 4:59pm

कुछ और कोशिश दरकार थी .  नीम के ही सन्दर्भ में   सादर .

Comment by Harash Mahajan on August 21, 2015 at 5:41pm
आदरणीय नीम पर इतनी सूंदर प्रतुति पर दिली बधाई ।
Comment by Dr T R Sukul on August 19, 2015 at 11:14pm

आद ०  जवाहरलाल जी आपने सही कहा है इसीलिए बार बार गुणों की कदर करने की सलाह दी जाती है। 

Comment by Dr T R Sukul on August 19, 2015 at 11:09pm

Thank you resp. Mithilesh ji for appreciation.

Comment by Dr T R Sukul on August 19, 2015 at 11:07pm

Thank you Res.Nikore sir for your appreciation.

Comment by Dr T R Sukul on August 19, 2015 at 11:06pm

आ. कान्ता जी सारगर्भित और विश्लेषणात्मक टीप के  लिए धन्यवाद।   

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2015 at 1:12pm

पकने के बाद निमौरियां लगती है मीठी,

गुणकारी फिर भी,

नीम का दातौन करे साफ़ दातों को,

छाया में होता शीतलता का अहसास

इसके छाल होते हैं ख़ास 

इसलिए न उठा कुल्हारी 

कौए ने उठा ली है निमौरी 

निमौरी के बीज ..क्या है यह भी चीज!

देखें सकारात्मक भी ...सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 18, 2015 at 2:15pm

आदरणीय Dr T R Sukul जी इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई निवेदित है.

Comment by vijay nikore on August 18, 2015 at 1:32pm

नीम पर इस सुन्दर रचना के लिए बधाई, आदरणीय।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 18, 2015 at 10:46am

आ० कान्ता बहन की बात से सहमति जताते हुए इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service