आज कोचिंग से निकलने में देर हो गई थी , इसलिए घर जल्दी पहुँचने के लिए उसने मेन रोड छोड़ इसी गली से निकलने का फैसला किया था । हालांकि रात में इस गली से निकलने के लिए मम्मी ने मना किया था लेकिन आज बडी़ ही मजबूरी हो चली थी । कलाई पर बंधी घड़ी की सुई पर नजर पडते ही वो सहम उठी । गली सुनसान -सन्नाटा हुआ जा रहा था । करीब दस फर्लांग ही आगे बढीं होगी कि पीछे से आहट आई । उसे भान हुआ कि कोई पीछे आ रहा है । पलट कर देखा । दो लडके थे । स्थिति को भाँप वो लम्बी - लम्बी डग भरने लगी । पीछे से पदचाप की आवाजें भी तेज हो गई थी । आहटें अब लगभग करीब ही थी । अब मन को सचेत कर एक हाथ बैग के अंदर और दूसरे हाथ को मुट्ठी के शक्ल में मजबूती से कसते हुए , अपने पैरों में पूरी ताकत बटोर जबड़ों को भींच अब जरा और सावधान हो चली । जैसे ही वे सामने आये कि अचानक मुड़ कर दाहिने हाथ से कराटे का एक चाप दे , तुरंत पलट दूजे हाथ से मिर्ची स्प्रे दूसरे के आँखों में और एकदम से बडी़ तेजी से पलट अपने पैरों से पूरी ताकत लगा पहले वाले के नाजुक अंगों पर बडे दम लगा कर चोट की और जोर से भागी ।
वे दोनों अचानक से हुए इस प्रहार के लिए तैयार नहीं थे सो जमीन पर धडाम से औंधे गिरकर दर्द से बिलबिला उठे ।
"आह ...ऊँह.......साले ... कहा था ना कि जींस वाली लडकियों से मत उलझ , वो तेज होती है ! "
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुतिकरण ....संदेशपरक तो है ही......बधाई आपको..
आदरणीया प्रतिभा जी, आपने बिलकुल सही कहा. इस सामान्य से कथानक में कांता जी अपनी शैली का जादू डालकर इसे विशिष्ट लघुकथा बना दिया. मैं भी आज इधर उधर से इस लघुकथा पर आ जा रहा हूँ. शब्द चयन इतना बढ़िया है जैसे -जमीन पर धडाम से औंधे गिरकर दर्द से बिलबिला उठे । .... बिलबिलाने का किता बढ़िया प्रयोग किया है. वाह
वाह आदरणीया कांता रॉय जी वर्तमान परिस्थितियों में ऐसे कथानक की सख़्त आवश्यकता है। इस सशक्त लघु कथा की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
आ० कांता जी , एक्शन पैक्ड लघु कथा है और बार बार एक्शन रीप्ले करके पढने का मन हो रहा है ,बधाई आपको
आदरणीया कांता रॉय जी, बहुत शानदार लघुकथा हुई है. कथानक को आपने सधी हुई शैली में शाब्दिक करते हुए लघुकथा को प्रभावकारी बना दिया है. इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई.
यह उन रचनाओं की श्रेणी में है जिनकी आज समाज को सबसे ज्यादा जरुरत है. इसके लिए आपका आभारी हूँ.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online