For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मुखाग्नि'- (लघु कथा)

आज सुबह उस चाय की गुमटी पर गरमा गरम चाय पीते-पीते कुछ मुखों से शब्दों के अग्नि-बाण से निकल रहे थे।
"अरे सुना तुमने, मज़हब की बंदिशें तोड़ ग़रीब दोस्त संतोष को मुस्लिम युवक रज़्ज़ाक ने कल मुखाग्नि दी !"
यह सुनकर एक पंडित जी बड़बड़ाने लगे-

"सारा अंतिम संस्कार अपवित्र हो गया, पता नहीं आत्मा को कैसे शान्ति मिलेगी ?"
इस पर एक शिक्षित युवक बोला-

"अरे ये सब वो धर्मान्तरित मुसलमान हैं जो आज भी अपने मूल धार्मिक कर्मकांड गर्व से करते हैं।"
तभी एक दाढ़ी वाले ने दाढ़ी पर हाथ फेरते हुये धीरे से कहा-

"सही कहते हैं हमारे चच्चाजान, इस्लाम संकट में है !"
एक छिछौरे ने चुटकी लेते हुए कहा-

"अरे, मुझे तो लगता है उसकी पत्नी से पहले से कोई यारी रही होगी !"
इन बातों को सुनकर चाय वाला बोला-"छोड़ो भी, रात गई, बात गई, आप तो चाय पियो। मेन बात तो समझ नईं रये, मूंह चलाये जा रये !"

मौलिक व अप्रकाशित
शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी म.प्र.

Views: 1033

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 30, 2015 at 8:33pm

आदरणीय शेख साहब, अभी हाल ही में यह खबर आयी थी. आपने इस खबर के हर पहलू पर जो पैनी धार चलायी है ....ग़जब!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 23, 2015 at 12:32pm
परम आदरणीय गुरु जी, सबसे पहले तो मैं ओ.बी.ओ. प्रशिक्षण शिविर/अभियान के आज के ताज़े सबक़ के लिए तहे दिल शुक्रिया अदा करना चाहूँगा, जिसके तहत किसी रचना की समीक्षा लिखने का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत कर समीक्षक बनने का स्वप्न देखने वाले इस नव रचनाकार को बेहतरीन प्रशिक्षण हासिल हुआ ।
इस के बाद मैं यह कहना चाहता हूँ कि यकीन मानिये अख़बार के प्रथम पृष्ठ के लघु कोलम के एक समाचार मात्र को पढ़कर विचारों की लहर सी उठी और मोबाइल उठाकर लेखनी को बहा दिया....कथा के अंतिम छोर पर पहुंचने पर पता चला कि यह तो अच्छी खासी लघु कथा बन गयी !
मेरी इस रचना पर आपकी उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी ने मुझे धन्य कर दिया। यह मुझे निरंतर ऊर्जा देती रहेगी.....असीम प्रोत्साहन प्रदान करती रहेगी, मुझे पूरा विश्वास है।
ओबीओ लघु कथा गोष्ठी-6-"प्रत्युत्तर"- शुरू होने के पूर्व हासिल इस हौसला अफज़ाई से मेरी लेखनी अवश्य ही लाभान्वित होगी।
आमीन।

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on September 23, 2015 at 11:28am

बेहद मर्मस्पर्शी और प्रभावोत्पादक लघुकथा रची है भाई शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी। यह रचना कई मायनों में अति उत्तम है अत: इस लघुकथा की जितनी प्रशंसा की जाये कम होगी I दरअसल यह चंद पंक्तितों में लिखा गया एक उपन्यास प्रतीत होता है जोकि समाज के विभिन्न वर्गों की सोच को उजागर कर रहा है। इसमें एक "दोस्त" है, जो सिर्फ दोस्त है - हिन्दू या मुसलमान नहीं है। जो अपने दोस्त की अंत्येष्टि की खातिर अपने धर्म और धार्मिक मान्यतायों को ताक पर रखने से गुरेज़ नहीं करता। वहीँ मुल्ला-पंडित की संकीर्ण विचारधारा के दर्शन भी होते हैं, जिनके चेहरे के नकाब को रचनाकार ने नोच नोच कर खींचा है। तथाकथित बुद्धिजीवी का बयान भी इस लघुकथा में दर्ज है तो एक शोहदे के दिमाग की गंदगी भी है।

लेकिन इस सबसे अलग इस लघुकथा में एक चाय वाला भी है, जोकि रोज़ी रोटी की चिंता में हलकान और  तथाकथित धार्मिक कट्टरता से कोसों दूर है।
"आप तो चाय पियो। मेन बात तो समझ नईं रये, मूंह चलाये जा रयेi"

शायद ये खुद भी सच्चाई से नावाकिफ है, किन्तु उसका उपरोक्त संवाद बहुत कुछ कह भी जाता है और अनकहा भी छोड़ जाता है। बहुत अरसे बाद इतनी सुन्दर लघुकथा पढ़कर आनंद आया, इस हेतु मैं लेखक को अपनी दिली बधाई देता हूँ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 22, 2015 at 11:32pm
लघु कथा का अवलोकन करने व प्रोत्साहन देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया Rajesh Kumari जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 22, 2015 at 8:20pm

अच्छी कहानी है बहुत- बहुत बधाई |

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 22, 2015 at 6:46pm
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, मेरी रचना पर उपस्थिति दर्ज कर प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 22, 2015 at 3:19pm

बढ़िया प्रस्तुति हुई है हार्दिक बधाई आपको 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 22, 2015 at 1:01pm
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय Virender Veer Mehta जी
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on September 22, 2015 at 10:03am
बहुत ही उम्दा और बेहतरीन रचना बनी है शहजाद भाई। बहुत सी बातो पर अनजाने मे ही प्रशन उठाती सार्थक रचना। सादर बधाई स्वीकार करे आदरणीय।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 22, 2015 at 12:37am
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया Kanta Royजी, आदरणीय
Tej Veer Singh जी, आदरणीय
Sushil Sarna जी रचना का अवलोकन करने व प्रोत्साहन देने के लिए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service