इंसानी फ़ितरत – ( लघुकथा ) –
"हे पवन देव ,कृपया मेरी सहायता कीजिये"!आम के वॄक्ष ने कराहते हुए कहा
“क्या हुआ बन्धु, कोई कष्ट है क्या"!
"क्या आप नहीं देख रहे, यह उदंड मानव झुंड, पत्थर मार मार कर मुझे घायल कर रहा हैं"!
"तो इसमें मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं"!
"आप अपने वेग से मुझे झकझोर कर मेरे फ़लों को नीचे गिरा दीजिये ताकि यह संतुष्ट होकर, पत्थर प्रहार बंद कर दें"!
"तुम बहुत भोले हो मित्र, ऐसा कुछ भी नहीं होगा,ये इंसान हैं"!
"आपके इस कथन का आशय क्या है,स्पष्ट रूप से बताइये "!
"देखो मित्र,तुम्हारे पास अन्य जो भी प्राणी जैसे कीडे,मकोडे, पशु, पक्षी आदि आते हैं तो वे तुम्हारे फ़ल, फ़ूल, पत्ते इत्यादि उतना ही लेते हैं जितनी उन्हें भूख या ज़रूरत होती है"!
"हॉ, यह तो सत्य है"!
"मगर यह जो इंसान है,यह सदैव पेट से ज्यादा घर भरने की लालसा रखता है, भले ही वह वस्तु घर में पडे पडे नष्ट हो जाय"!
"पर ऐसा क्यों करता है इंसान"!
"यही इंसानी फ़ितरत है"!
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी!
हार्दिक आभार आदरणीय कान्ता जी,कृष्ण मिश्रा जी!आपने मेरी लघुकथा को समय दिया ,सराहना की, अच्छी विवेचना की!पुनः बधाई!
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, श्री मिथिलेश वामनकर जी, आप लोगों ने मेरी लघुकथा को समय दिया, सराहना की, अपने महत्व पूर्ण विचार व्यक्त किये!पुनः आभार!
आदरणीय तेजवीर सिंह जी बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. अपने शीर्षक को सार्थक करती इस सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई
इंसानी फितरत कथा में उभर कर सामने आयी है , साधुवाद .
हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, लघुकथा को समय दिया,सराहा, सार्थक टिप्पणी की!पुनः आभार!
संचय करने की प्रवृति ही इंसानी दुखों का कारण है ,गहरे मर्म वाली इस प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीय तेज़ वीर सिंह जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online