2122 – 2122 – 2122 – 212 |
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चाँदनी जब रात, गुमसुम क्यों नदी का तीर है? |
मौन है जल किसलिए, पूछो कि क्यों गंभीर है? |
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प्यार के झुरमुट अंधेरों से लिपट सोते रहें |
कौन सा उजियास उनके मर्म की तकदीर है |
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फिर धरा में कसमसाता बीज आतुर हो गया |
बादलों को हो पता ये मामला गंभीर है |
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अनवरत धारा समय की अब ठहर सकती नहीं |
युद्ध जीवन है मनुज, तू सोच क्या बलवीर है? |
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छीन लेगी लॉन की इस नर्म चिकनी दूब को |
चाय की प्याली पे तपती धूप की जागीर है |
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फिर नयन में उठ गई नूतन तरलता की नमी |
ये असीमित सी ख़ुशी है या नवेली पीर है |
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सूर्य भय से फिर सरोवर में दुबक कर सो गया |
फिर गगन से रोष की बिलकुल नई तहरीर है |
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क्यों सरल विश्वास मन का, है मिलन को बावला |
भूल मत रस्मों- रिवाजों की बड़ी प्राचीर है |
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शांत जल में एक कंकड़ ने बनाए वृत्त सौ |
मैं सतह को मान बैठा था मेरी तस्वीर है |
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और कब तक बैठना है मुग्ध अपने द्वीप पर |
आज पानी में उतरिये, इक नई तासीर है |
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एक जंगल का उजड़ता खंडहर मैं हो गया |
छत खड़ी है मौन सिर पर पाँव में शहतीर है |
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मत कुरेदो तुम अतल गहराइयों के सत्य को |
मन के सागर में युगों से वेदना का नीर है |
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Comment
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. सादर
आदरणीय जयनित जी ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. सादर
आ० मिथिलेश जी मतला मक्ता कमाल के हैं . बढ़िया गजल . आपको बधाई .
मत कुरेदो तुम अतल गहराइयों के सत्य को |
मन के सागर में युगों की वेदना का नीर है |
आदरणीय श्याम नरेन् जी ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. सादर
आदरणीय रवि जी आपको ग़ज़ल पसंद आई, मेरे लिए बड़ी बात है. आपकी शेर दर शेर समीक्षा पाकर अभिभूत हूँ. ग़ज़ल की सराहना और मार्गदर्शक प्रतिक्रिया के लिए आभार. आपने सही कहा-//मन के सागर में युगों से वेदना और युगों की वेदना इसमें दो अलग भाव है एक में वेदना स्थापित हुई और निरन्तर चली आ रही है दूसरा पीड़ा के वाल्यूम को अभिव्यक्त करता है उसकी सघनता की ओर इशारा है // युगों की वेदना से कहन का अर्थविस्तार और सौन्दर्य बढ़ रहा है. अतः इस शेर में बदलाव करने की सोच रहा हूँ. आपका पुनः हार्दिक आभार
आदरणीय पंकज जी ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. सादर
इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई |
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