For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिसेज़ वर्मा [लघु कथा ]

"क्या बात है वर्मा जी i सत्तर की उम्र में भी आप युवाओं से ज्यादा चुस्त हैं " पार्क से निकलते हुए मैंने वर्मा जी  से कहा I

"पूरे नियम से रहता हूँ Iघूमना ,योग , स्वस्थ भोजन, पंद्रह सालों से टस से मस नहीं हुआ है नियम I "गर्व से दमक रहा था उनका चेहरा I

"बिल्कुल, वो तो दिखता है I"

"सुबह निम्बू शहद पानी से लेकर रात को सोने से पहले हल्दी के दूध तक ,एक भी दिन चूक नहीं होती है I"

"किससे?" 

"मिसेज़ से और किससे ,वो ही तो ध्यान रखती है रूटीन का Iऔर हाँ , घर में नौकर चाकर सब हैं ,पर रसोई में उनका प्रवेश बिलकुल मना हैI खाना पीना ,सब मिसेज़ देखती हैं Iसख्त हिदायत है मेरी I" 

"और मिसेज़ आपकी ? उन्हें नहीं प्रेरित करते आप योग  और सुबह घूमने के लिए ? इस उम्र में  उनके लिए भी ज़रूरी है स्वस्थ दिनचर्या I"

"अरे ,लेडीज़ का क्या .घर के झंझटों में ही लगी  रहती हैंI  उन्हें इन चीज़ों की उपयोगिता की क्या समझ I"

"वो सुबह  घूमने और योग करने निकल पड़ीं तो  आपकी कड़क चाय और दूसरे नियमों का क्या होगा ?" मैंने धीरे से कहा I

"कुछ कहा आपने ?'"

"जी नहीं I लीजिये  घर आ गया आपका Iमिसेज़ हर्बल चाय लिए बैठी होंगी I"

मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 775

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on October 29, 2015 at 11:00am

आदरणीया प्रतिभा जी कहानी के माध्यम से आपनेउम्दा बात कही और कहानी घर घर की कह दी , खुद के लिए  अलग नियम और पत्नी के लिए अलग ,समाज में ऐसा अक्सर ही  होता आया है । बाकि आदरणीया राजेश कुमारी जी से मै पूर्णतः  सहमत हूँ । 

Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 6:18pm

वाह !!! क्या नब्ज पकड़ी हैं आप आदरणीया प्रतिभा जी।  मान गए।  बधाई हो जी।  :))))))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 26, 2015 at 11:02am

कई मायनों में ये लघु कथा अपना सार्थक प्रभाव छोड़ती है पुरुष की मानसिकता के साथ स्त्रियों की अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही को भी दर्शाती है तथा उन्हें प्रेरणा भी देती है जागरूक होने के लिए ..हर घर के किस्से हैं ये अच्छा तो तब है जब दोनों जागरूक हों तथा एक साथ व्यायाम के लिए बाहर जाएँ एक दूसरे का ख़याल रखें  बहुत अच्छी लघु कथा एवं उससे बेहतर प्रस्तुतीकरण |हार्दिक बधाई प्रिय प्रतिभा जी 

Comment by pratibha pande on October 25, 2015 at 1:49pm

सराहना के लिए हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी  

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 24, 2015 at 5:08pm
आदरणीया Pratibha Pandey जी, बहुत अच्छे विषय पर सार्थक सटीक सृजन किया है आपने। तहे दिल बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आपको। आप कोशिश करतीं, तो अंतिम पंक्तियों में ज़ोरदार तंज छोड़ा जा सकता था।
Comment by pratibha pande on October 24, 2015 at 8:56am

आदरणीया नीता जी रचना की सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभार 

Comment by pratibha pande on October 24, 2015 at 8:52am

उत्साह वर्धक प्रतिक्रया के लिए आपका आभार आदरणीय सुशील जी 

Comment by pratibha pande on October 24, 2015 at 8:51am

पति पत्नी दोनों को ही एक दूसरे का बराबर ध्यान रखना है अक्सर महिलाऐं अपने प्रति लापरवाह होती हैं ,पूरे घर का ध्यान रखती हैं पर अपना नहीं रखती ,, कथा पर प्रस्तुत होकर सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी 

Comment by pratibha pande on October 24, 2015 at 8:43am

आपको कथा पसंद आई ,हार्दिक आभार ,सीखने वाली बात कहना आपका बड़प्पन है शुक्रिया राहिला जी 

Comment by Nita Kasar on October 23, 2015 at 12:28pm
जी बिल्कुल एेसा भी होता है मैं सहमत हंू आद०ओमप्रकाश क्षत्रिय जी के कथन से पर एेसा भी होता है दोनों एक दूसरे का ख़्याल रखते है पुरूष मानसिकता को प्रदर्शित करती कथा के लिये बधाई आद०प्रतिभा पांडे जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी तरही मिसरे पर आपने ख़ूब ग़ज़ल कहीं। हार्दिक बधाई। अमित जी की टिप्पणी के अनुसार बदलाव…"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय अमीर जी, मेरा आशय है कि लिख रहा हूँ एक भाषा में और नियम लागू हों दूसरी भाषा के, तो कुछ…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"... और अमित जी ने जो बिंदु उठाया है वह अलिफ़ वस्ल के ग़लत इस्तेमाल का है, इसमें…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
".हम भटकते रहे हैं वहशत में और अपने ही दिल की वुसअत में. . याद फिर उस को छू के लौटी है वो जो शामिल…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. संजय जी,/शाम को पुन: उपस्थित होऊंगा.. फिलहाल ख़त इस ग़ज़ल का काफ़िया नहीं बनेगा ... ते और तोय का…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//चूँकि देवनागरी में लिखता हूँ, इसलिए नस्तालीक़ के नियमों की पाबंदी नहीं हो पाती है। उर्दू भाषा और…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गिरह भी अच्छी लगी है। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीया ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल हुई। बधाई स्वीकार करें।  6 सुझाव.... "तू मुझे दोस्त कहता है…"
7 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी, //अगर जान जाने का डर बना रहे तो क्या ख़ाक़ बग़वत होगी? इस लिए, अब जब कि जान जाना…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"//'इश्क़ ऐन से लिखा जाता है तो  इसके साथ अलिफ़ वस्ल ग़लत है।//....सहमत।"
10 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service