"क्या बात है वर्मा जी i सत्तर की उम्र में भी आप युवाओं से ज्यादा चुस्त हैं " पार्क से निकलते हुए मैंने वर्मा जी से कहा I
"पूरे नियम से रहता हूँ Iघूमना ,योग , स्वस्थ भोजन, पंद्रह सालों से टस से मस नहीं हुआ है नियम I "गर्व से दमक रहा था उनका चेहरा I
"बिल्कुल, वो तो दिखता है I"
"सुबह निम्बू शहद पानी से लेकर रात को सोने से पहले हल्दी के दूध तक ,एक भी दिन चूक नहीं होती है I"
"किससे?"
"मिसेज़ से और किससे ,वो ही तो ध्यान रखती है रूटीन का Iऔर हाँ , घर में नौकर चाकर सब हैं ,पर रसोई में उनका प्रवेश बिलकुल मना हैI खाना पीना ,सब मिसेज़ देखती हैं Iसख्त हिदायत है मेरी I"
"और मिसेज़ आपकी ? उन्हें नहीं प्रेरित करते आप योग और सुबह घूमने के लिए ? इस उम्र में उनके लिए भी ज़रूरी है स्वस्थ दिनचर्या I"
"अरे ,लेडीज़ का क्या .घर के झंझटों में ही लगी रहती हैंI उन्हें इन चीज़ों की उपयोगिता की क्या समझ I"
"वो सुबह घूमने और योग करने निकल पड़ीं तो आपकी कड़क चाय और दूसरे नियमों का क्या होगा ?" मैंने धीरे से कहा I
"कुछ कहा आपने ?'"
"जी नहीं I लीजिये घर आ गया आपका Iमिसेज़ हर्बल चाय लिए बैठी होंगी I"
मौलिक व् अप्रकाशित
Comment
आदरणीया प्रतिभा जी कहानी के माध्यम से आपनेउम्दा बात कही और कहानी घर घर की कह दी , खुद के लिए अलग नियम और पत्नी के लिए अलग ,समाज में ऐसा अक्सर ही होता आया है । बाकि आदरणीया राजेश कुमारी जी से मै पूर्णतः सहमत हूँ ।
वाह !!! क्या नब्ज पकड़ी हैं आप आदरणीया प्रतिभा जी। मान गए। बधाई हो जी। :))))))
कई मायनों में ये लघु कथा अपना सार्थक प्रभाव छोड़ती है पुरुष की मानसिकता के साथ स्त्रियों की अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही को भी दर्शाती है तथा उन्हें प्रेरणा भी देती है जागरूक होने के लिए ..हर घर के किस्से हैं ये अच्छा तो तब है जब दोनों जागरूक हों तथा एक साथ व्यायाम के लिए बाहर जाएँ एक दूसरे का ख़याल रखें बहुत अच्छी लघु कथा एवं उससे बेहतर प्रस्तुतीकरण |हार्दिक बधाई प्रिय प्रतिभा जी
आदरणीया नीता जी रचना की सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभार
उत्साह वर्धक प्रतिक्रया के लिए आपका आभार आदरणीय सुशील जी
पति पत्नी दोनों को ही एक दूसरे का बराबर ध्यान रखना है अक्सर महिलाऐं अपने प्रति लापरवाह होती हैं ,पूरे घर का ध्यान रखती हैं पर अपना नहीं रखती ,, कथा पर प्रस्तुत होकर सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी
आपको कथा पसंद आई ,हार्दिक आभार ,सीखने वाली बात कहना आपका बड़प्पन है शुक्रिया राहिला जी
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