For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"हैलो..शोभा!कैसी हो।"
"मैं ठीक हूं । आप कैसे हैं?"
"बढ़िया,अरे सुनो मैं फिर नहीं आ पा रहा हूं।यहां सीमा पर माहौल लगातार खराब चल रहा है।छुट्टियों की अर्जियां निरस्त हो गयी।"
"दोबारा..भला ये क्या बात हुई"उसके स्वर में उदासी छा गई ।
"यूं उदास ना हो, फौजी की बीबी को हर हाल में सब्र रखना चाहिए।अच्छा ये बताओ..अगर आज स्वयं भगवान तुम्हें कोई वरदान मांगने को कहते तो क्या मांगती? "
"यही मांगती कि बस तुम इसी वक्त मेरे पास आ जाओ"
"ओह..प्रिय,कुछ और मांगना था । ये ख्वाइश तो भगवान ने पूरी कर दी।
वो पूरे साजो सामान के साथ ,फोन कान से लगाये, दरवाजे पर खड़ा,शरारत से मुस्कुरा रहा था ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1070

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 11:44pm
बहुत आभार आपका आदरणीय अजय कुमार शर्मा जी! आपकी छोटी सी सुन्दर टिप्पणी के लिये बहुत धन्यवाद ।
Comment by Ajay Kumar Sharma on October 26, 2015 at 10:34pm

अति सुंदर राहिला जी। अक्षरशः सत्य एहसास है।

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 8:30pm
बहुत -बहुत आभार आद. प्रतिभा जी! आपको मेरी रचना मीठी लगी,और मैं आपके द्वारा मीठे से संबोधन में डूब गई । बहुत शुक्रिया ।
Comment by pratibha pande on October 26, 2015 at 8:23pm

 प्यारी और मीठी कहानी ,बधाई आपको प्रिय राहिला जी 

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 8:03pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय उस्मानी जी! आपको रचना पसंद आई ,मेरा लेखन सफल हुआ । बहुत आभार ।
Comment by Rahila on October 26, 2015 at 8:00pm
बहुत -बहुत आभार आपका आदरणीय नीरज कुमार जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 26, 2015 at 7:50pm
हृदयतल से बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीया Rahila जी इस सफल कथा के बढ़िया सृजन के लिए।
Comment by Neeraj Neer on October 26, 2015 at 7:00pm

बहुत सुंदर राहिला जी 

Comment by Rahila on October 26, 2015 at 5:22pm
आद. कांता दी आपकी स्नेहिल टिप्पणी का क्या कहूं कितना इंतेजार रहता है । बहुत आभार आपका आपको रचना पसंद आई । बहुत शुक्रिया ।
Comment by kanta roy on October 26, 2015 at 5:18pm

वाह !!! बहुत खूब मीठी सी शब्दों की सादगी लिए भावों का विस्तार का संवहन करते हुए सार्थक कथा हुई है। बधाई आदरणीय राहिला आसिफ जी।  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service