For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत - समय को भी तो एक दिन बूढ़ा होना है -- गिरिराज भंडारी

वो ममता मयी छुवन हो

जो माँ की कोख से निकलते ही मिली

या हो उसी गोद की जीवन दायनी हरारत

या

तुम्हारी उंगलियों को थामे ,

चलना सिखाते 

पिता की मज़बूत, ज़िम्मेदार हथेली हो

या हो

जमाने की भाग दौड़ से दूर , निश्चिंत

कलुषहीन  हृदय से

धमा चौकड़ी मचाते , गिरते गिराते , खेलते कूदते

बच्चे

या फिर स्कूलों कालेजों की किशोरा वस्था की निर्दोष मौज मस्तियाँ

 

या हो वो जवानी में पारिवारिक , सामाजिक ज़िम्मेदारियों स्वीकारते ,जूझते मज़बूत कान्धे

सब कुछ तो बिना मांगे दिया है

उसी समय ने, सभी को

और स्वीकार किया सभी ने आनंद के साथ

 

उसी समय ने ,

जिसने आज लगा दी है सफेदी तुम्हारे बालों पर

खींच दी है आड़ी तिरछी रेखायें

अनुभवों की

तुम्हारी शक़्ल से ले कर तमाम जिस्म में

नज़र कमज़ोर् , झुकी कमर , थरथराती ऊँगलियाँ

 

चढ़ता सूरज भी तो डूब ही जाता है , एक समय

फिर क्यों मुश्किल है स्वीकार पाना

ख़ुद का डूब जाना,

या कहूँ , स्वीकार कर पाना समय की सच्चाई को  

और फिर ,

समय को भी तो एक दिन बूढ़ा होना है

चुक जाना है , विलीन हो जाना है

उसी शून्य में

जिसमें विलीन हो मिलती है सभी को

एक नई शुरुवात ॥

***********************

मौलिक एअवँ अप्रकाशित

Views: 626

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:18am

आदरणीय मिथिलेश भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:17am

आदरणीया राजेश जी . रचना के मूल भावना तक पहुँच के सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:16am

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , आपने सही कहा , रचना की सराहना के लिये आपका आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:15am

आदरणीया प्रतिभा जी , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:14am

आदरणीया कांता जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:14am

आदरणीय समर भाई , आपने अतुकांत कविता मे हमेशा मेरी हौसला अफ्ज़ाई की है , आपका तहे दिल से शुक्रिया इस मुहब्बत के लिये ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2015 at 6:12am

आदरणीय Sheikh Shahzad Usmani  भाई , इस वैचारिक रचना की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 1:51pm

आदरणीय गिरिराज सर, इस गहन प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

जन्म से ही अंतिम सत्य का भान होता है फिर भी कवायद चलती है जिसका नाम जीवन है मगर उसके बाद विलीन होकर एक नई शुरुआत भी नियत है. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 27, 2015 at 9:02pm

जीवन की ये वो सच्चाई है जिसे हम स्वीकारना नहीं चाहते या यूं कहिये की स्वीकारते हुए डरते हैं हाँ सच हम डरते हैं दर्पण कभी झूट  नहीं बोलता मगर हम ये भी चाहते हैं की वो झूट  ही बोल दे मगर क्या फायदा वक़्त को भी तो बूढा  होना है फिर नई पारी की शुरुआत करनी है अनुभव युक्त भावनाओं को जीती प्रस्तुति दिल छू गई आदरणीय गिरिराज जी दिल से बधाई लीजिये |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 27, 2015 at 8:32pm

प्रौढ़ अवस्था कहें या वृद्धावस्था --अपने खुद के रीतने की कशिश ऐसे ही भावों को प्रतिफलित करती है , सुन्दरता केसाथ .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
20 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
20 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service