For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

         

           "क्या मम्मी आप भी जरा-जरा सी बातों पर तुनक पड़ती हो,पूरा आसमान सिर पर उठा लेती हो.पापा के दोस्तों के बीच में ही तो थीं आप   वे लोग कोई जानवर तो नहीं,हँसी-मजाक ही तो किया चीर हरण तो नहीं.."सुनकर खून उतर आया था उसकी आँखों में,अपनी ही लाठी,अपने पर वार,तिलमिलाते हुए पलकें बंद कर ली तो दर्द आंसू बन बह निकला.वह सोचने लगी,

     'उम्र की पहली फसल बाबा की अँगुलियों में अटक गई,सतरंगी सपने उड़े भी न थे कि उम्र की दूसरी फसल बिन हवा-पानी घूँघट में उजड़ गई और तीसरी को तो चौराहे पर ही चरने के लिए रख दी गई और अब तो उम्मीद की चौथी फसल भी हाथ से फ़िसल गई.'मन ही मन वह बुदबुदाई "अपनी ही बिछाई बिसात है, अपने ही मोहरों से पिटना -उजडना युगों का इतिहास है.अत;अब भी सांस लेनी सूरज के अंत तक.  

    { मौलिक एवंम अप्रकाशित रचना }

Views: 908

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 5, 2015 at 8:42pm

उफ्फ्फ बहुत मार्मिक कथा लिखी है आपने .स्त्री जीवन काँटों पर ही चलता आया चलता रहेगा ...सूरज रहने तक ..हार्दिक बधाई आपको आशा जी .

Comment by asha jugran on November 5, 2015 at 12:31pm

बहुत-बहुत् धन्यवाद आद० मिथलेश वामनकर जी,आद०तेजवीर सिंह जी और आद० प्रतिभा जी ,रचना पर प्रतिक्रिया  देने के लिए आभार 

Comment by pratibha pande on November 2, 2015 at 5:48pm

बेहतरीन लघु कथा हुई है ,हार्दिक बधाई आपको  आदरणीया आशा जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 2, 2015 at 10:05am

हार्दिक बधाई आदरणीय आशा जुगरान जी!बेहतरीन और सशक्त प्रस्तुति!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 1, 2015 at 9:51pm

आदरणीया आशा जी प्रतिको के माध्यम से आपने नारी जीवन के भूत वर्मन और भविष्य को साकार कर दिया. शानदार प्रस्तुति. हार्दिक बधाई 

Comment by asha jugran on November 1, 2015 at 9:13pm

कथा को बारीकी से विश्लेषित करने के लिए आभार,शेख शहजाद उस्मानी जी.

Comment by asha jugran on November 1, 2015 at 9:10pm

बहुत-बहुत धन्यवाद शिज्जू शकूर जी.

Comment by asha jugran on November 1, 2015 at 9:09pm

आपने  कथा को बिल्कुल सही पकड़ा है,सविता जी .सुन्दर व्याख्या के लिए आभार 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 1, 2015 at 8:11pm
बहुत सुंदर शिल्प में प्रतीकों के माध्यम से नारी जीवन के विभिन्न पड़ावों के कड़वे अनुभव चित्रित कर उत्कृष्ट लघु कथा का सृजन हुआ है । हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया आशा जुगरान जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 1, 2015 at 7:48pm
बहुत बढ़िया अति आधुनिकता के विकृत स्वरूप को खूब शब्द दिया है आपने

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service