For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम सोचना ये मत (गजल)

1222-1222-1222-1222

मुझे गम के समन्दर में अभी बहना नहीं आया ।

सभी यारो ने माना ये सच्च कहना नहीं आया ।।

 

मुझे कहते रहे कायर इश्क के सूरमां सारे ।

मगर हम मौन हो गए और कुछ कहना नही आया ।।

 

अरे! हम भी यहाँ उस बात का इजहार कर देते ।

मुझे गजलो में अपनी बात को कहना नहीं आया ।।

 

छन्द कहता गजल से ये इश्क उनको नहीं होता

अश्रू से गर जिन्हे दो आँख का धोना नहीं आया ।

 

चलो मैं मानता हूँ की मेरे आँसू नहीं होते ।

मगर तुम सोचना ये मत हमें रोना नही आया।

 "मौलिक व अप्रकाशित"           

Views: 871

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by DIGVIJAY on December 1, 2015 at 5:23pm

जी भाईजी....जहाँ तक मैं अपने गजल ज्ञान के विषय में बात करू तो ये भी लगभग शून्य ही हैं.......लेकिन इतना विश्वास दिलाता हूँ कि आप जैसे भाईजनों और गजल के उस्तादों के मार्गदर्शन से मैं एक अच्छा गजलकार बनने के लिए जीं-तोड़ मेहनत करूँगा । आपको मुझमें एक अच्छे शायर कि समंभावना दिखती हैं इसके लिए आपका ह्रदय कि गहराईयों से धन्यवाद ।

Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on December 1, 2015 at 3:00pm

प्रिय भाई ,
भाई कहने के लिए अनुमति लेने की जरुरत नहीं होती। खुले मन से भाई कहिए मुझे।
मैं ग़ज़ल विधा के शिल्प के बारे में कुछ नहीं जानता मगर इतना जरूर पहचान पाता हूँ कि इस शायर में कुछ तो है। आप में यही दिखा था मुझे।
खुश रहें

Comment by DIGVIJAY on December 1, 2015 at 2:33pm

समर साहब मैं गजल को सीखने की दिशा में मेहनत कर रहा हूँ जल्द ही एक और प्रयास के साथ मंच पर प्रस्तुत होऊँगा । सादर ।

Comment by DIGVIJAY on December 1, 2015 at 1:31pm

प्रदीप भइया मैंने अपनी रचनाओँ पर आज तक जितनी भी टिप्पणिया पढ़ी थी ये अब तक कि सबसे जानदार थी । सर जी मैं आपकी अनुमति के बिना आपसे ये अधिकार माँग रहा हूँ कि मैं आपको भाईजी पुकार सकूँ । 

बस, आप सब का आशीर्वाद मिलता रहे भाईजी मैं जल्द ही एक अचछी गजल के साथ प्रस्तुत होऊँगा । सादर ।

Comment by Samar kabeer on November 30, 2015 at 10:57pm
जनाब दिग्विजय जी,आदाब,इस प्रयास के लिये आप बधाई के पात्र हैं,जनाब योगराज प्रभाकर जी की बात पर ध्यान दीजियेगा ।
Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on November 30, 2015 at 9:58pm

भाई दिग्विजय आप में अपार संभावनाएं हैं। आप मन से लिखते हैं , सिर्फ कलम से नहीं। बधाई
हाँ आपकी इस उर्दू ग़ज़ल में मौन ,कायर तथा सच्च जैसे शब्द , हो सकता है मात्राओं पर पूरे उतर रहे हों , अच्छा प्रभाव नहीं डाल रहे।
उर्दू बहुत मीठी बोली है दोस्त , उसके शब्द इनकी जगह मिल जाएंगे।
और हाँ , थोड़ा मजाक कर लूँ ?
आप ग़ज़ल-सम्राट श्री श्री आमोद बिंदोरी जी से ग़ज़ल लिखना सीख लें जिन्होंने यहाँ इतनी शानदार टिप्प्पणी की है। इतनी शानदार टिप्पणी मिलने पर आपको चाहिए कि उनके ब्लॉग पर हो ही आएं एक बार। मैं गया था , तबियत प्रसन्न हो गई यार। बहुत सीख कर आया वहां से

Comment by DIGVIJAY on November 30, 2015 at 2:16pm

आदरणीय मुकेश साहब आपने मेरी इस रचना में भी एक खूबसरत अहसास कि खोज कर ली मुझे जानकर प्रसन्नता होती हैं शायद मेरे भाव आप तक सही ढंग से पहुँच गये। आपका बहुत बहुत धन्यवाद माननीय ।

Comment by DIGVIJAY on November 30, 2015 at 2:14pm

आदरणीय Srivastava amod bindouri जी के अनुसार ये जानकर कि ये गजल जैसा जो भी हैं गजल के दायरे से बिल्कुल बाहर निराशा होती परन्तु अगली पंक्ति में उन्होने मुझे जो संबल प्रदान किया इसके लिए उनका तहे दिल से शुक्रिया मैं जल्द ही एक नयी गजल के साथ पेश होऊँगा आदरणीय बिन्दौरी साहब । सादर

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on November 30, 2015 at 1:07pm

khoobsoorat ehsaas - badhaee bhaee jee

Comment by amod shrivastav (bindouri) on November 29, 2015 at 4:45pm
आ दोस्त यह गजल के दायरे से बिलकुल ख़ारिज है पर आप हतास न होना ऐसे ही लिखते रहिये और मंच में दी गई जानकारी को पढ़ते रहिये यक़ीनन आप बेहद सुन्दर रचना लिखेंगे प्रयाश के लिए बधाई
J

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service