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गॉड फ़ादर (लघुकथा )

खूबसूरत राखी एक बेहतरीन नृत्यांगना और अभिनेत्री थी!फ़िल्म उद्योग में तीन साल से हाथ पैर मार रही थी!काम तो मिल रहा था मगर उसकी प्रतिभा के मुताविक नहीं मिलता था!कुछ ग्रुप उसे छोटे मोटे रोल देकर अपने ग्रुप से जोडे हुए थे ,जिससे वह कहीं और ना जाये!

आज एक डांस सीन की शूटिंग थी!राखी अपने  मेक अप मैन घोषाल बाबू से मेक अप करा रही थी!घोषाल बाबू उसे बेटी की तरह मानते थे!वे उसकी प्रतिभा के कायलथे!

"राखी, मैं तुमसे कुछ कहना चाह रहा था"!

"बोलिये ना दादा, कोई परेशानी"!

"नहीं रे, मुझे तेरी चिंता है, तुझे तेरे हुनर के माफ़िक काम नहीं मिलता"!

"दादा, सबका अपना अपना नसीब है"!

"तू मेरी एक बात मान ले "!

"बोलिये दादा"!

"तू शंकर भाई को अपना गॉड फ़ादर बना ले"!

"वो निर्माता निर्देशक शंकर भाई,पर मैं तो उसे जानती ही नहीं"!

"पर वो तुझे जानता है, वो तुझे काम देना चाहता है, तुझे स्टार बना देगा "!

"मुझे करना क्या होगा"!

“तुझे शंकर भाई को गॉड फ़ादर मानना होगा!तेरा हर फ़ैसला वही लेगा! तुझे वही करना होगा, जो वह कहेगा!

उसकी बात तेरे लिये पत्थर की लकीर होगी”!

"ना बाबा, मेरा सगा बाप मेरा नसीब नहीं बदल सका तो ये नक़ली बाप क्या बदलेगा,मुझे अपनी मेहनत और ऊपर वाले  पर भरोसा है"!

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Rahila on December 4, 2015 at 9:26pm
बहुत ही सार्थक और सत्य को उजागर करती रचना हुई आदरणीय तेज वीर सिंह जी !बहुत बधाई आपको इस उम्दा कृति हेतु । सादर नमन ।
Comment by jyotsna Kapil on December 4, 2015 at 9:20pm
बहुत सार्थक सन्देश देती हुई रचना।योग्यता है तो आपको किसी गॉडफादर की ज़रूरत नहीं।काबिलियत अपना लोहा एक दिन खुद मनवा लेगी।
Comment by Nita Kasar on December 4, 2015 at 8:48pm
गाडफादर अपनी मर्ज़ी से प्रतिभा को चलायें प्रतिभा को कैसे गवांरा होगा चकाचौंध भरी दुनियाँ में अपने को साबित करना हर एक के बस की बात नही है जो कर्मठता माथे पर लिखाकर लाते है वही अपना स्थान बना पाते है ।कुछ क़दम चल कर लौट जाते है कुछ हिम्मती अपनी जगह खुद बना लेते है ये संस्कार माता पिता गुरूजनों से ही आते है प्रेरक कथा के लिये बधाई आद० तेजवीर सिंह जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 4, 2015 at 7:26pm
कुछ निर्णय तुरंत ले लेने चाहिए, ताकि दिग्भ्रमित और शोषित होने से बचा जा सके। प्रेरक संदेश वाहक रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
Comment by kanta roy on December 4, 2015 at 6:30pm

गॉड फादर एक बहुत ही कटु  सत्य को उकेरा है आपने अपनी इस कथा के माध्यम से आदरणीय तेजवीर जी। सफलता के लिए हुनर पर नहीं रिश्तों पर विश्वास रखने वाले हमेशा औंधे मुंह को गिरते ही है आज नहीं तो कल , ये जीत क्षणभंगुर ही साबित होती है।  दबी कुचली ,आत्मा को एकदिन लड़खड़ा कर गिरना तय है इसलिए बहुत खूब आपकी पात्रा ने गॉडफादर के आस्तित्व को नकार कर एक मिशाल कायम की है यहाँ।  दिल से बधाई प्रेषित कर रही हूँ आपको इस रचना के लिए।  

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