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प्यार कहते हैं कि हर चाव बदल देता है
एक मरहम की तरह घाव बदल देता है /1
अश्क लेकर भी किसी को न तू रोते दिखना
कहकहा आँख का बरताव बदल देता है /2
झील ठहरी है बहुत वक्त से कंकड़ मारो
एक कंकड़ ही तो ठहराव बदल देता है /3
अजनवी सोच के यूँ दूर न बैठो हमसे
मिलना जुलना ही मनोभाव बदल देता है /4
माँ की ममता से मिली सीख ये हमको यारो
हर किसी पीर को सहलाव बदल देता है /5
काम आता न हो चाहे कि करो कोशिश कुछ
हर कमी रोज का दुहराव बदल देता है /6
22 दिसम्बर 2015
मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’
Comment
काम आता न हो चाहे कि करो कोशिश कुछ
हर कमी रोज का दुहराव बदल देता है /6.........ये दर्शन आपका सही लगा कि रोज रोज एक सा सही काम करने से अच्छा कुछ नया करें चाहे थोडा गलत ही सही , बधाई इस रचना पर आपको आदरणीय धामी जी
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