For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं अपना घर सम्भालूँ वो अपना घर संभालें

१२२२  १२२ १२२२  १२२ 

मैं अपना घर सम्भालूँ वो अपना घर संभालें 

ये बंदूकें हटा लें अमन से हल निकालें 

झुलसती अब है धरती नहीं जमता हिमानी 

अगन पीकर मही की चलो नदियाँ बचा लें 

गले रोजाना मिलते , मिलाते हाथ भी हैं 

कभी तो ऐ पड़ोसी दिलों को भी मिला लें 

कली मुरझा रही है सिसकते हैं ये भंवरे 

जहाँ में है अँधेरा चरागों को जला लें 

बहुत रूठे हुए हैं  हमारे अपने हमसे 

चलो खुद आगे बढ़कर के रूठों को मन लें 

बने हिन्दू मुसल्मॉ लडे सदियों से यूं ही 

दिवाली ईद अबकी चलो मिल के मना लें

 

इबादत मंदिरों में या मस्जिद में करें हम 

मगर कोशिस हो भीतर छुपा इंसा बचा लें 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 2, 2016 at 4:39pm

आदरणीय श्याम जी रचना पर  आपकी उत्साहित  करती प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 2, 2016 at 4:38pm

aआदरणीय समर कबीर सर ..आपकी प्रतिक्रिया से मुझे सदैव ही मार्गदर्शन और ऊर्जा मिलती है ..नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 2, 2016 at 4:36pm

आदरणीय शेख जी आप सब के प्रोत्साहन से ही सतत लिखने का हौसला मिलता है सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 2, 2016 at 4:34pm

आदरणीय हरी प्रकाश जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on January 2, 2016 at 3:28pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!
Comment by Samar kabeer on January 2, 2016 at 3:19pm
जनाब डा.आशुतोष मिश्र जी आदाब,बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ बधाई स्वीकार करें |
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 2, 2016 at 9:12am
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्र जी ।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 1, 2016 at 7:38pm

सुन्दर भावनाओं से भरी एक सुन्दर रचना ,बधाई आ. डॉ आशुतोष मिश्र जी !सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
6 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service