For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ........

इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ।।

ये चोरी छिनैती अपहरण की घटना
बालात्कार और अभिहरण वाली घटना
मगर,
करना कुछ मैं नहीं चाहता हूँ
हाँ !
इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ।।

गर्भस्थ शिशु की हत्या न चाहूँ
स्त्री को उसका अधिकार चाहूँ
मगर,
लड़ना खुद मैं नहीं चाहता हूँ
हाँ !
इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ।।

गरीबों के आँसूं द्रवित कर रहे हैं
भूखे ये बच्चे दुखित कर रहे हैं
मगर,
मरना खुद मैं नहीं चाहता हूँ।
हाँ !
इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ।।

कतल बलवा वाली समस्या न चाहूँ।
व्यभिचार पशुवत् तो बिल्कुल न चाहूँ।
मगर,
खुद सुधरना नहीं चाहता हूँ।
हाँ !
इन्हें रोकना मैं बहुत चाहता हूँ।।


मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 5, 2016 at 7:47pm
आदरनीय फूल सिंह सर सादर आभार
Comment by PHOOL SINGH on January 15, 2016 at 10:13am

बहुत ही सुन्दर रचना , आप बहुत बहुत बधाई

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 13, 2016 at 10:35pm
आदरणीय समर कबीर सर सादर धन्यवाद
Comment by Samar kabeer on January 13, 2016 at 6:01pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी आदाब,वाह बहुत ख़ूब,इस शानदार रचना के लिये ढेरों बधाई स्वीकार करें |
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 13, 2016 at 2:51pm
आदरणीय शैख़ शहज़ाद सर तारीफ के लिए शुक्रिया।

सुझाव शिरोधार्य है, प्रयास करने का वादा भी
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 13, 2016 at 2:27pm
"हम सुधरेंगे, जग/युग सुधरेगा"... जन जागरण का दायित्व निभाती रचना के लिए तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा 'वात्सयायन' जी। यदि आप इसे सार छंद या छन्न पकैया सार छंद में भी पेश कर सकें, तो और मज़ा आयेगा!
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 13, 2016 at 1:11pm
आदरणीय विजय सर सादर प्रणाम्।

रचनाकर्म को प्रोत्साहित करने के लिए हृदय तल से आभार
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 13, 2016 at 10:42am
सुन्दर एवं सही , सुन्दर अभिव्यक्ति , आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा जी ,
हम उनके आँसू रोकना चाहते हैं ,
करते कुछ नहीं , कर कुछ नहीं पाते , बस ,
कभी - कभी दो चार आँसू खुद बहा देते हैं।
बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
34 minutes ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
7 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
20 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
20 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service