For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उल्टी गंगा (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"मम्मा, छोड़ो भी अब यह सब! देशभक्त सैनिकों की तस्वीरें दिखाने, उनकी दिलेरी के किस्से सुनाने और देशभक्ति गीत और भाषण सुनाने से भी मुझ पर कोई असर नहीं पड़ने वाला!" -आदित्य ने ध्वज फहराते सैनिक पिता की तस्वीर एक तरफ रखकर अपनी माँ से कहा।

"तो तुम अपने पापा और दादा जी के सपने पूरे नहीं करोगे?"

"नहीं, मुझे नहीं रही कोई रुचि सैनिक जीवन में! क्या मिला है मुझे? न दादा जी का प्यार, न पापा का और न ही बड़े भाई का? सैनिकों की शहादत और सम्मानों से उनके परिजनों को प्यार नहीं, सिर्फ कुछ सरकारी सुविधाएँ ही तो मिलती हैं न!"

"ये तुम नहीं, तुम्हारा उस लड़की से अंधा प्यार बोल रहा है!"

माँ का यह कथन सुनते ही आदित्य क्रोधित होकर बोला- "तुम्हारी ममता के बाद मुश्किल से मेरी पसंद की लड़की का प्यार मुझे मिल रहा है, मुझे उसके सपने पूरे करने दो, जो अब मेरे भी सपने हैं!"

"बेटा, तुम्हारे 'प्यार' और 'सपनों' की हक़ीक़त तो मुझे नहीं पता, लेकिन तुम पर स्वार्थ और नये ज़माने की चकाचौंध के असर की हक़ीक़त तो समझ पा रही हूँ!"- माँ ने साड़ी के पल्लू से अपने आँसू पोंछते हुए कहा।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 520

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nita Kasar on January 26, 2016 at 3:56pm
बेटे का स्वार्थ देख माँ को बेटे का भविष्य और नज़रिया दिखा गया आज की पीढ़ी है इनके लिये शहादत के मायने बाद में मिलनी वाली सुविधायें ही है।बहुत जवंलंत प्रश्न उठाया है कथा के ज़रिये बधाई आपको आद०उस्मानी जी ।
Comment by pratibha pande on January 26, 2016 at 12:34pm

ये सच है कि युवाओं के मन में सेना में जाने के लिए लगाव कम होता जा रहा है I,अच्छा विषय लिया है आपने ,हार्दिक बधाई आपको आदरणीय उस्मानी जी 

Comment by SALIM RAZA REWA on January 24, 2016 at 8:34pm
खूबसूरत कहानी के लिए मुबारकबाद
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 24, 2016 at 3:23pm
आप वरिष्ठजन की हौसला अफ़ज़ाई से इस लेखन का मक़सद पूरा हुआ। तहे दिल बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब।
Comment by Samar kabeer on January 24, 2016 at 2:37pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,दिलचस्प और सबक़ आमोज़ लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करें |
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 24, 2016 at 12:59pm
त्वरित प्रतिक्रिया व हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 24, 2016 at 12:07pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी!बेहद रोचक और संदेश परक लघुकथा! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service