For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दर्द भरी गहरी पुकार

दर्द भरी गहरी पुकार

हमारा रिश्ता

एक ढहा हुआ मकान ...

तुम बदले

तुम्हारे इमान बदले

मेरे सवाल, और

तुम्हारे उन सवालों के जवाब बदले

सुना है

इमान का अपना

अनोखा चेहरा होता है

सूर्य की किरणों-सा अरुणित

बर्फ़ीली दिशाओं को पिघलाता

आसमान को भी पास ले आता है

उसी अरुणता को

अपने  "आसमान "  को  

तुम्हारे इमान को 

मैं तुम्हारी आँखों में देखती थी

मेरे अस्तित्व का पोर-पोर खुल जाता था

खिल जाता था

तुम्हारे स्नेह के कंधे पर माथा टिकाए

एक पूरा युग बीत जाता था

पर अब भीतर कोई उजाड़ कुछ अजीब

खालीपन के भारीपन के बीच

मैं भटक जाने से डरती

ढहे हुए मकान के मलबे के नीचे

दबी पड़ी

आयु की रात के कुहरे में

करवट भी नहीं ले पाती

विरह की स्याह-खाई में सो नहीं पाती

हमारा वह परस्पर-गुंथन

साँसों की स्वरसंगति में उलझन

और हमारी बातों में कसैला अन्तराल

ऊपर अँधियारा आसमान

तुम्हारा बदला हुआ इमान ...

मेरे लिए यह सभी

बड़े-बड़े सवाल बने खड़े हैं

उलझे सवालों में उलझा मुरझाया रिश्ता

काली-काली-पहचानी उदास गलियों में

हमारी छटपटाती छायाएँ

मेरी दर्द भरी गहरी पुकार

पर है अब इन सब सवालों से बड़ा 

एक और अनदिखा सियाह सवाल ...

मैं जीऊँ   

कि न जीऊँ  ?

------

विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 852

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on February 24, 2016 at 8:24am

आप मेरी रचना पर आईं, और प्रतिक्रिया दी, आपका हृदयतल से आभार, आदरणीया प्राची जी।

Comment by vijay nikore on February 24, 2016 at 8:22am

सराहना के लिए आभारी हूँ, आदरणीय लक्ष्मण जी।

Comment by vijay nikore on February 24, 2016 at 8:21am

रचना की सराहना से मुझको मान देने के लिए आभार, आदरणीय हरि प्रकाश जी।

Comment by vijay nikore on February 24, 2016 at 8:19am

रचना की सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय समर जी।

Comment by vijay nikore on February 24, 2016 at 8:17am

सराहना के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय सतविंदर जी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 3, 2016 at 2:42pm

मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति 

बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 3, 2016 at 12:22am

आ०   भाई विजय निकोर जी सुन्दर रचना हुई है हार्दिक बधाई l

Comment by vijay nikore on February 2, 2016 at 2:18pm

// अंतर्मन की वेदना को आपकी कलम ने मार्मिकता की स्याही से अपने शब्दों में बहुत ही खूबसूरती से कागज़ पर उकेरा है//

इस उदार प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी।

Comment by Hari Prakash Dubey on February 2, 2016 at 1:19am

आदरणीय विजय सर ,बहुत ही शानदार रचना है, हार्दिक बधाई, सादर ! 

Comment by Samar kabeer on February 1, 2016 at 10:56pm
जनाब विजय निकोर जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
10 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
Friday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service