रंगों की दुनिया में असुरक्षा का माहौल बनता देख लाल ,पीले और नीले रंग के मंत्रियों ने सफ़ेद रंग के सरदार से आपात मीटिंग बुलाने को कहा /हर तरह के रंगों को आमंत्रित किया गया /.... मीटिंग शुरू हुई --मुद्दा था ऐसा क्या करें कि हर वर्ग हमें प्यार से देखे /..... लाल और पीले रंग बोल उठे ,हमारे रंग को हिन्दुओं ने पसंद कर लिया ,मुसलमान हमारी तरफ अजीब नज़रों से देखते हैं /.... नीले और पीले एक साथ कहने लगे हम दोनों से बने हरे रंग को मुसलमानों ने अपना लिया , हिन्दू हमें नफरत की नज़र से देखते हैं /..... इसी बीच शोहरत ,ग़ुरूर और दौलत के रंग तैश में बोले हम अमीरों के हिस्से में आगये ,गरीब हम तक पहुँच नहीं पाते /........ हर रंग अपनी अपनी दास्ताने बर्बादी अपने तरीक़े से बयान कर रहा था और स्टेज पर विराजमान सफ़ेद रंग जो ख़ुद अपने आप में रंग नहीं कई रंगों का मिश्रण है सबकी दलीलें सुन कर धीरे धीरे मुस्करा रहा था। ......
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(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
जनाब मिथिलेश साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
रंगो को प्रतीक बनाकर बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आदरणीय तस्दीक जी. हार्दिक बधाई
मोहतरमा प्राची सिंह साहिबा , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी
रंगों के माध्यम से विकृत व्यस्था और रंगों को धर्मों से जोड़ देने वाली सोच पर कटाक्ष हुआ है..
लेकिन मोहब्बत का रंग सफ़ेद मुस्कान में नज़र नहीं आया वहां तो कुछ कुटिल छवि उभरी है
प्रस्तुति सशक्त हुई है
हार्दिक बधाई
मोहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , सफ़ेद सूरज की किरण जो खुद सात रंगों से बनी है , मुहब्बत का रंग बन कर सारी दुनिया को फ़ायदा पहुंचा रही है / तो असली रंग लाल , पीला और नीला ऐसा क्यों नहीं कर सकते। .... यह सिर्फ तसव्वुर पर बेस है। ..... शुक्रिया
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