For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ( पत्थर निकला)

ग़ज़ल (पत्थर निकला ) -------------------------

- 2122 ---1122 ---1122 --22

मेरि बर्बाद मुहब्बत का  ये   मंज़र    निकला  /

 जिसको उल्फत का ख़ुदा समझा वो पत्थर निकला /

दिल को तस्कीन तो हासिल हुई हमदर्दी   से

पर निगाहों  से नहीं  ग़म का समुन्दर  निकला /

ज़ुल्म ने जब भी ज़माने में उठाया है सर

लेके ख़ुद्दार क़लम अपना सुख़नवर   निकला /

नीम शब मिलने की तदबीर भी बेकार गयी

सुबह होते ही गली कूचे में महशर  निकला /

यूँ ही दीवार खड़ी तो न हुई है  शक की

जो था क़ासिद वो किसी और का मुखबर निकला /

लग रहा है ये ख़ुशी रूठ गयी है मुझ से

वक़्ते दीदार रुखे  यार भी मुज़्तर  निकला /

खुल गया वक़्ते नज़अ राज़े मुहब्बत आख़िर

लब से तस्दीक़ मेरे जैसे ही  दिलबर निकला /

(मौलिक व अप्रकाशित )    

Views: 1166

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by saalim sheikh on February 6, 2016 at 1:58am

बहुत  शुक्रिया 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 4, 2016 at 8:51pm

जनाब शेख़ सलीम साहिब ,यहाँ बात उर्दू शाएरी की हो रही है /अरबी के जो लफ़्ज़ उर्दू ज़बान में आ गए वह ही इस्तेमाल होते हैं / मुखबिर उर्दू डिक्शनरी में है ही नहीं /   मैं ने मुखबर क़ाफ़िया मिसरे में इस्तेमाल किया है उसका मतलब जासूस ,  खबर देने वाला, है। ....... शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 4, 2016 at 8:42pm

जनाब मिथिलेश साहिब ,  हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by saalim sheikh on February 4, 2016 at 1:17am

जनाब तस्दीक़ साहब  मुखबर और मुखबिर दोनों ही अरबी के लफ्ज़ हैं 

मुखबिर 'फ़ाइल'  है जो कि मुफ़इल के वज़न पर है ( खबर देने वाला ,जैसे  मुजरिम= जुर्म करने वाला , मुस्लिम= इस्लाम लाने वाला ) 

मुखबर 'मफ़ऊल' है जो कि मुफ़अल के वज़न पर है  ( जिसको खबर दी गई हो ,जैसे  मुकर्रम= जिसकी तकरीम की गई हो  मुफ़स्सल= जिसकी तफ़सील बयान की गई हो   ) , मुखबिर और मुखबर में उतना ही फ़र्क है जितना ज़ालिम और मज़लूम या क़ातिल और मकतूल में है 

ये अरबी की मशहूर डिक्शनरी अल-मआनी के ऑनलाइन संस्करण का लिंक है तस्दीक़ कर लें , शुक्रिया

 http://www.almaany.com/ar/dict/ar-ar/%D9%85%D8%AE%D8%A8%D8%B1/


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2016 at 12:10am

आदरणीय तस्दीक जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने.... शेर-दर-शेर दाद-ओ-मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2016 at 7:50pm

मोहतरमा प्राची सिंह  साहिबा  , हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से  बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2016 at 7:48pm

जनाब लक्ष्मण धामी   साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2016 at 7:47pm

मोहतरम जनाब तेजवीर  साहिब , हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 3, 2016 at 3:31pm

ज़ुल्म ने जब भी ज़माने में उठाया है सर

लेके ख़ुद्दार क़लम अपना सुख़नवर   निकला.... वाह 

सुन्दर ग़ज़ल हुई है 

हार्दिक बधाई 

Comment by TEJ VEER SINGH on February 3, 2016 at 12:43pm

हार्दिक बधाई आदरणीय तसदीक अहमद खान साहब  जी!बेहतरीन गज़ल!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service