For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये शबे -गम किसने दी दिल को / गजल

ये शबे-गम किसने  दिया  दिल को
किसने अपना बना लिया दिल को

मेरी नजरों में तेरे ख्वाब सनम
कह रहे हैं ये शुकरिया दिल को

इश्क तुमसे किया है शिद्दत से
और बे चैन कर लिया दिल को

पीला-पीला बसंती सा आंचल
मिस्ल-ए-गुलशन बना गया दिल को

चाँदनी दूर जा के चमके कहीं
हमने अब तो जला लिया दिल को

रूठी तकदीर आज जागी है
कौई तकदीर दे गया दिल को

छुप गया चाँद रात होने पर
उसने जब प्यार से छुआ दिल को

तंग गलियों के साए में अक्सर
दिलबरे जान भी मिला दिल को

गैर हो तुम चलो ये मान लिया
धोखा नज़रों से क्यों हुआ दिल को


मौलिक और अप्रकाशित

Views: 619

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 5, 2016 at 10:31pm
बहुत बहुत बधाई वन्दनीया दीदी।आप की अटूट मेहनत का पूण्य फल है कि आपकी वन्दनीय लेखनी हर विधा में अपनी छाप छौड़ रही है।सादर नमन
Comment by जयनित कुमार मेहता on February 5, 2016 at 9:11pm
वाह! खूबसूरत भाव..
बस,बह्र साधने का प्रयास करती रहें आदरणीय कांता रॉय जी।
सादर।।
Comment by kanta roy on February 5, 2016 at 11:29am
आदरणीय रवि जी मुझे मात्राओं की गिनती आ गई है और बहर भी अब पहचान पा रही हूँ । लेकिन कुछ संशय अभी बाकी है अरकान के संयोजन को लेकर । गुनगुनाकर लिखने के बाद बहुत कुछ गलत होने के डर से ग्रसित रहती हूँ ।
अभी जरा मात्राओं को कहाँ और क्यों गिराने और बढा कर लिखने वाली चैप्टर में उलझी हुई हूँ , इसलिए काॅन्फिडेंस की कमी भी है बहर लिखने के मामले में । जब सारे संशय दूर हो जायेंगे मै बह्र भी लिखने लगूंगी ।
आभार आपको मुझे प्रोत्साहन के लिए । सादर ।
Comment by Ravi Shukla on February 5, 2016 at 10:27am

आदरणीय कांता जी  आपकी एक और ग़ज़ल से रू ब रू हुए आपकी कोशिश को सलाम । खयाल भी अच्‍छे लिये है आपने । बधाई स्‍वीकार करें

आपने बह्र नहीं लिखी है जिससे इसका आकलन सुगम नहीं हुआ मतले को छोड़ दे तो बाकी के अशआर में

2122 1212  112/22  बह्र मिल रही है

कुछ अशआर का खयाल बहुत ही अच्‍छा लगा । आपकी लगन से अच्‍छी गजलें सुनने की उम्‍मीद बन गई है । हार्दिक बधाई स्‍वीकार करें । सादर ।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 3, 2016 at 12:37pm

हार्दिक बधाई आदरणीय कांता रॉय जी!बेहतरीन गज़ल!

गैर हो तुम चलो ये मान लिया
धोखा नज़रों से क्यों हुआ दिल को

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service