For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उपेक्षित....

दसों दिशाओं में डंका बजाता

चक्रवर्ती सम्राट......दिन!

यशस्वी-प्रकाशवान

निरंतर गतिमान

नित्य महासमर के उपरांत शिथिल,

क्लांत वश पिघल जाता

रक्त का कण-कण

संगठित करता लाल सागर

विचलित होती आत्मा

अश्रु आश्चर्यचकित...!

कपोलों पर ठिठके...

हवाएं अट्टहास करती

मचलती ज्वार-भाटा आदत से मज़बूर

उगलतीं रेत-अपशिष्ट

निर्दोष तट आहत हैं...

उपेक्षा से.

रचनाकार....केवल प्रसाद 'सत्यम'

Views: 401

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on February 6, 2016 at 3:06pm

सुन्दर विचारोत्तोजक  रचना , हार्दिक बधाई आदरणीय केवल जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2016 at 1:20am

गहन वैचारिकता शाब्दिक करनेकेलिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ, केवल प्रसाद भाईजी. 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 5, 2016 at 9:32pm
आदरणीय सतविंदर भाई जी आपका हार्दिक आभार. सादर
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 5, 2016 at 9:31pm
आदरणीय वामनकर भाई जी आपका हार्दिक आभार. सादर
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 5, 2016 at 9:30pm
आदरणीय समर कबीर भाई जी आपका हार्दिक आभार. सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 4, 2016 at 10:00pm
सुंदर।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 4, 2016 at 9:27pm
बधाई आदरणीय।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 4, 2016 at 12:40am

आदरणीय केवल जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई

Comment by Samar kabeer on February 3, 2016 at 6:06pm
जनाब केवल प्रसाद जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
15 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service