For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो छुपाते रहे अपना दर्द

अपनी परेशानियाँ

यहाँ तक कि

अपनी बीमारी भी….

 

वो सोखते रहे परिवार का दर्द

कभी रिसने नहीं दिया

वो सुनते रहे हमारी शिकायतें

अपनी सफाई दिये बिना ….

 

वो समेटते रहे

बिखरे हुये पन्ने

हम सबकी ज़िंदगी के …..

 

हम सब बढ़ते रहे

उनका एहसान माने बिना

उन पर एहसान जताते हुये

वो चुपचाप जीते रहे

क्योंकि वो पेड़ थे

फलदार

छायादार ।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नादिर ख़ान on February 8, 2016 at 6:03pm

आदरणीय नीरज जी आपने रचना में अपना कीमती वक़्त दिया बहुत आभार आपका। ... 

Comment by नादिर ख़ान on February 8, 2016 at 6:02pm

आदरणीय  सौरभ सर  आपकी  टिप्पणी सदैव मार्गदर्शन  प्रदान करती है, तहे  दिल से आपका शुक्रिया ...  

Comment by नादिर ख़ान on February 8, 2016 at 6:02pm

आदरणीय तेजवीर साहब आपने रचना को जो  मान दिया उसका बहुत शुक्रिया

Comment by नादिर ख़ान on February 8, 2016 at 6:02pm

आदरणीया राहिला जी हौसला अफ़ज़ाई  का  बहुत बहुत शुक्रिया ....लेखन सार्थक हुआ ।  

Comment by Neeraj Neer on February 5, 2016 at 10:48pm

बहुत सुंदर .... पिता ऐसे ही होते हैं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 5, 2016 at 10:34pm

इस प्रस्तुति के नायक के प्रति नमन !

एक सशक्त एवं सार्थक रचना केलिए हार्दिक धन्यवाद, नादिर भाई. 

Comment by TEJ VEER SINGH on February 5, 2016 at 10:28am

हार्दिक बधाई आदरणीय नादिर खान साहब  जी!बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by Rahila on February 4, 2016 at 11:33am
सही मायनों में जो पिता है उनका बहुत खूबसूरत और प्यारा चित्रण किया आपने आदरणीय नादिर खान साहब! हार्दिक बधाई आपको ।आदाब
Comment by नादिर ख़ान on February 4, 2016 at 11:16am

जनाब सलीम  शेख साहब हौसला अफ़ज़ाई के लिए, तहे दिल से आपका शुक्रिया। 

Comment by नादिर ख़ान on February 4, 2016 at 11:15am

आदरणीय मिथिलेश जी आपकी सराहना से धन्य हुआ। अभी भी आशंकित हूँ कि भावों को कविता का रूप दे पाया या नहीं
वैसे अपनी अतुकांत रचनाओं को लेकर हमेशा संशय में रहता हूँ । आपकी टिप्पणी से संतोष मिला, सीखना जारी है ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service