For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उतार-चढ़ाव (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

घोर निराशा से घिरे पुत्र को जीवन की सच्चाई बताते हुए पिताजी सीख देने की कोशिश कर रहे थे।

"बेटा, ज़िन्दगी के उतार-चढ़ाव से व्यथित मत हो, हर इन्सान के हमसफ़र होते हैं ये सब!"

" लेकिन पिताजी, हमसफ़र के तेवर सबके साथ एक से नहीं होते! स्वाभाविक उतार-चढ़ाव और बनाये गये या थोपे गये उतार-चढ़ाव में ज़मीन आसमान का फर्क है इस स्वार्थी युग में!"- पुत्र ने अपने शैक्षणिक दस्तावेजों की फाइल बंद करते हुए कहा।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 6, 2016 at 7:26pm
ब्लोग पोस्ट पर समीक्षात्मक प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया नीता कसार जी।
Comment by Nita Kasar on February 18, 2016 at 2:36pm
उतार चढ़ाव का नाम ही ज़िंदगी है पर वह बेटा क्या करें जिसके पास पर्याप्त योग्यता होने के बाद भी वह बेरोज़गारी से जूझ रहा हो ।वक्त बदलता है पर वक्त लगता है बधाई आपको आद०शहजाद उस्मानी जी ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 17, 2016 at 7:44pm
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर प्रोत्साहन देने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब, जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब, जनाब तेज वीर सिंह जी, आदरणीया जानकी वाही जी व आदरणीया राहिला जी।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 17, 2016 at 11:35am

आ0 भाई शेख शहजाद जी हार्दिक बधाई ।

Comment by Janki wahie on February 16, 2016 at 11:15am
बेहद उम्दा कथा।गागर में सागर।हार्दिक बधाई।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 15, 2016 at 9:18pm

जनाब शेख़ शहज़ाद उस्मानी  साहिब , वाक़ई वह ज़िंदगी ही क्या जिसमें उतार चढ़ाव न हों। ... बहुत अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by TEJ VEER SINGH on February 15, 2016 at 7:42pm

हार्दिक बधाई  आदरणीय शेख उस्मानी  जी!बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by Rahila on February 15, 2016 at 7:09pm
सबके हमसफर भी तो एक जैसे नहीं होते तो तेवर कैसे एक होगें । और फिर किस्मत का खेल अलग डुगडुगी बजाता है । जो इंसान को नित नये रंग दिखाता है । बहुत सार्थक लेखन आदरणीय उस्मानी जी !बहुत बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम साहिब को सादर अभिवादन "
3 hours ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"सबका स्वागत है ।"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . रोटी

दोहा पंचक. . . रोटीसूझ-बूझ ईमान सब, कहने की है बात । क्षुधित उदर के सामने , फीके सब जज्बात ।।मुफलिस…See More
9 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service