For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभिनय की महता(लघुकथा)/सतविंदर कुमार

अपनी मांग को लेकर एक समुदाय के लोग शांति से आंदोलन कर रहे थे। अचानक आंदोलन ने उग्र रूप लिया। अन्य समुदायों से झड़पें हुई। मारा-मारी हुई। छोटी-बड़ी सड़कें बन्द। लूट-पाट शुरू। यह सब ऎसे चला की मारा-मारी में हुई झड़पों में कइयों की जानें भी गई।
एक पत्रकार मांग को लेकर आंदोलन कर रहे समुदाय के बड़े नेता से
-यह जो हो रहा है, क्या यह सब ठीक है?
-जब चारों तरफ आगजनी हो, मारा-मारी हो, सब अपने ही लोग अपनों को मारने पर तुले हों, जनता हालातों से तंग आ गई हो तो कुछ ठीक कहा जा सकता है? यह बहुत ही दुखद है। ऐसी स्थिती नहीं बननी चाहिए। मैं सबसे शान्ति बनाए रखने की हाथ जोड़ कर अपील करता हूँ।
-अपील के साथ-साथ आप उन लोगों के बीच में जाकर उन्हें समझाएंगे तो वे ज़रूर मानेंगे। आपने ऐसा कुछ सोचा है?
-हाँ कल से ही मैं राज्य में शांति स्थापना की कामना के लिए अनिश्चित कालीन उपवास शुरू करने वाला हूँ। ईश्वर जल्द ही सब ठीक करेंगे।
-मगर आप भी तो कुुछ.....।
-आप लोग ऐसी घड़ी में भी लोगों तक हमारा सन्देश पहुँचा रहे हैं बहुत-बहुत धन्यवाद आपका। हमें उपवास  की तैयारी करनी है। नमस्कार।
नेताजी ने पत्रकार की बात काटकर बातचीत का समापन कर उसे विदा किया।

फोन पर


-अरे! उस **** के इलाके में तो पूरी शान्ति है। अपने बन्दों को लेकर जाओ वहां उपद्रव होगा तो ही अपना फायदा होगा। नेता बना फिरता है स्साला। बिठाओ प्रोग्राम। पता चले।


-पर थोड़ी देर पहले उस पत्रकार को तो शान्ति स्थापना करवाने के लिए... 
पास बैठे एक समर्थक ने संशय प्रकट करने की कोशिश की।

-अब इस बावले को क्या समझाऊँ कि नेतागिरी, अभिनेतागिरी बिना है ही क्या.।
बड़बड़ाते हुए नेताजी उसकी तरफ मुस्करा भर दिए।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 2, 2019 at 9:22pm

बेहतरीन समापन पंक्तियों और शीर्षक के साथ हक़ीक़त का बढ़िया चित्रण। जन-जागरूकता हेतु, विचारोत्तेजक। हार्दिक बधाई आदरणीय सतविंदर कुमार राणा साहिब।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 24, 2016 at 7:31am
सादर नमन वन्दनीया कांता दीदी।आपकी उपस्थिति से रचनाकर्म सार्थक हुआ।बहुत बहुत हार्दिक आभार।
Comment by kanta roy on February 23, 2016 at 10:34pm
राजनीति में अभिनय कला का महत्व को साबित करती ,भोले प्रजा को गुमराह करती , विसंगतियों को बेहतरीन तरीके से रोपित किया है आपने आदरणीय सतविंदर जी । बधाई कबूल कीजियेगा ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 23, 2016 at 3:06pm
प्रथम अनुमोदन एवम् प्रोत्साहक टिप्पणीकरने के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीया राहिला जी।सादर नमन
Comment by Rahila on February 23, 2016 at 11:34am
नेता, ही तो सबसे बड़े अभिनेता है । खामखां सिने कलाकारों को अभिनय पुरूस्कार दिया जाता है जबकि सही हकदार दे ये जनता के सेवक है । बहुत बधाई आदरणीय सर जी!बहुत उम्दा रचना प्रस्तुत की।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service