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वक्त आखिर गुज़र ही जायेगा
सो तबीअत ख़राब कौन रखे...वाह ! वाह ! बहुत ही उम्दा शेर है . बधाई आपको इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए आदरणीय शिज्जु शकूर जी .
आदरणीय शिज्जू जी बहुत ही बढिया शेर कहे है आपने शेर दर शेर दिली दाद कुबूल करें ।
वक्त आखिर गुज़र ही जायेगा
सो तबीअत ख़राब कौन रखे बहुत ही बढि़या सकारात्मक विचार वाला शेर है पुन: बधाई
आ० भाई शिज्जु जी , सुन्दर ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई .
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