For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल मनोज अहसास(इस्लाह के लिए)

221 2121 1221 212

बेचैनियों के रंग सवालो में भर गये
मंज़िल से पूछता हूँ कि रस्ते किधर गये

दिल को निचोड़ा इतना कि अहसास मर गये
खुद को बिगाड़ कर तुझे हम पार कर गये

मुझको उदास देखा जो मिलने के बाद भी
वो अपने दिल का दर्द बताने से डर गये

पूनम की शब का चाँद जो खिड़की पे आ गया
कमरे में मेरे यादों के गेसू बिखर गये

साहिल की कैद में कहीं जलती है इक नदी
मेरे ख्याल रेत के दरिया में मर गये

वीरानियों को अपना मुकद्दर समझ लिया
सारे फरेब सहके वो चुप में उतर गये

महताब पर नहीं है हवा भी सकून भी
सन्नाटा दिल में भरने को हम क्यों उधर गये

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 745

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on April 10, 2016 at 1:31pm

बहुत खूब ग़ज़ल हुई है भाई जी बधाई 

Comment by मनोज अहसास on April 8, 2016 at 10:04am
आदरणीय बैजनाथ जी
आदरणीय शकूर साहब

बहुत बहुत शुक्रिया
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 7, 2016 at 9:43pm
बहुत बढ़िया जनाब मनोज अह्सास जी
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on April 7, 2016 at 5:57pm

आदरणीय मनोज साहेब ..........वाह वाह ..........बधाई 

वीरानियों को अपना मुकद्दर समझ लिया
सारे फरेब सहके वो चुप में उतर गये

Comment by मनोज अहसास on April 7, 2016 at 2:20pm
आदरणीय समर कबीर साहब
सादर नमन
आपका मार्गदर्शन सदैव बहुमूल्य है
बहुत बहुत शुक्रिया
सादर
Comment by मनोज अहसास on April 7, 2016 at 2:18pm
बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय रामबली गुप्ता जी
सादर
Comment by Samar kabeer on April 6, 2016 at 6:29pm
गैसू ।
Comment by Samar kabeer on April 6, 2016 at 6:27pm
जनाब मनोज कुमार अहसास जी आदाब,बहुत दिनों बाद आपकी ग़ज़ल से रूबरू हुआ हूँ,वाह बहुत ख़ूब शानदार ग़ज़ल कही आपने दिल बाग़ बाग़ हो गया,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
चौथा शैर मेरे हिसाब से इस तरह होना चाहिये:-
"पूनम का चाँद जैसे ही खिड़की में आ गया
कमरे में उनकी यादों के गैसु बिखर गये "।
Comment by रामबली गुप्ता on April 6, 2016 at 2:07pm
वाह आद.मनोज जी हर शेर लाज़बाब
Comment by मनोज अहसास on April 6, 2016 at 1:42pm
आदरणीय नीलेश जी
आदरणीय धामी जी
आदरणीया राजेश कुमारी जी

बहुत बहुत आभार
नीलेश जी आपकी इस्लाह पर गौर कर रहा हूँ

किसी साथी की विस्तृत इस्लाह की भी प्रतीक्षा है
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service