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मज़दूर दिवस (लघुकथा)

 मज़दूर दिवस  – ( लघुकथा )  -

 कारखाने में  मज़दूर दिवस मनाया जा रहा था!  मंच पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान थे! उनके दायीं ओर प्रदेश के मुख्य मंत्री और बायीं तरफ़ कारखाने के मालिक सेठ धनपति लाल मौज़ूद थे!

 कारखाने के  चुंनिंदा कामगारों  को सम्मानित किया जाना था! सर्वश्रेष्ठ कामगार का पुरुस्कार सुखराम को मिलना था! सेठ जी ने माइक पर जैसे ही संबोधित करना शुरू किया! तभी सेठ जी के सैक्रेटरी ने सेठ जी के कान में बताया  “आपके कार्यालय के ए सी को जांच करते समय सुखराम को विद्युत आघात लगा है! वह आपके कार्यालय में बेहोश पडा है”!

सेठ जी ने भी उसी तरह फ़ुसफ़ुसाकर उसे कहा  “उसे वहीं रखो और कुछ प्राथमिक उपचार दे दो! यह खबर गोपनीय रहनी चाहिये”!

कार्यक्रम का समापन  हो चुका था! कारखाने के मुख्य द्वार से नेताओं और  अतिथिओं का काफ़िला   निकल रहा था! सेठ जी  सभी को उपहार देकर विदा कर रहे थे!

उसी समय कारखाने के पिछले द्वार से कारखाने के सर्वश्रेष्ठ कामगार सुखराम की लाश उसके घर भिजवाई जा रही थी!

मौलिक व अप्रकाशित

 

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Comment by TEJ VEER SINGH on May 3, 2016 at 4:21pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता कसार जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on May 3, 2016 at 4:20pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on May 3, 2016 at 4:19pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on May 3, 2016 at 4:17pm

हार्दिक आभार आदरणीय गणेश जी बागी जी! लघुकथा पर उपस्थित होने के लिये! आपने अपनी टिप्पणी के जरिये कुछ अच्छे सुझाव पेश किये हैं!जहां तक मेरी जानकारी है कामगार, मज़दूर, लेबर, श्रमिक, वर्कर सब एक ही स्तर के होते हैं! इलैक्ट्रीशियन भी इसी श्रेणी में आता है!वह दक्ष मज़दूर या स्किलड वर्कर होता है!वर्कर्स की तीन कैटेगरी होती हैं!स्किलड,सैमी स्किलड और अन स्किलड! इंडस्ट्रियल एक्ट के मुताबिक जो भी कर्मचारी या मज़दूर लेबर एक्ट के अंतर्गत आता है!वह लेबर, कामगार, वर्कर, मज़दूर या श्रमिक कहलाता है!सादर!

Comment by Nita Kasar on May 3, 2016 at 4:01pm
ये तस्वीर का दूसरा रूप है सेठ जी को मानवीयता से कोई सरोकार नही है ये कैसी हवा चल पड़ी है जहाँ कामगारों की जिंदगी की कोई क़ीमत नही है ।एक जवंलंत समस्या पर ध्यान अाकर्षित किया है आपने बघाई आद०तेजवीर सिंह जी ।
Comment by Sushil Sarna on May 3, 2016 at 1:10pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी वाह वाही की शाल में हकीकत बिलबिलाती रही। यथार्थ को मार्मिकता से प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक बधाई सर। 

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 3, 2016 at 8:13am
आदरणीय तेजवीर सिंह जी , व्यवस्था पर प्रश्न-चिन्ह लगाती अच्छी लघु-कथा , बधाई , सादर।
वैसे पुरूस्कार बांटने का एक अजीब चलन चला है।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 2, 2016 at 9:16pm

//ए सी को जांच करते समय सुखराम को विद्युत आघात लगा है//

//सर्वश्रेष्ठ मज़दूर का पुरुस्कार सुखराम को मिलना था//

प्रश्न उठता है कि सुखराम इलेक्ट्रीशियन था या मजदूर ?

एक सुझाव : 

आज कारखाने के कुछ चुंनिंदा मज़दूरों कामगारों को सम्मानित किया जाना था! सर्वश्रेष्ठ मज़दूर कामगार का पुरुस्कार सुखराम को मिलना था!

इस प्रयास पर बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी.

Comment by TEJ VEER SINGH on May 2, 2016 at 7:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ पांडे जी!आपका मेरी लघुकथा पर उपस्थित होना और टिप्पणी करना मेरे लिये गौरव की बात है!पुनः आभार!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 3:33pm

यह एक ऐसी घटना है आदरणीय, कि कोई संवेदनशील व्यक्ति हिल जाये. दिल में गहरे पैठ जाय ऐसी दशा है. हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.

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