For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -नूर- कोई चराग़ जला कर खुली हवा में रखो

१२१२ /११२२ /१२१२ /२२ (११२)
.
कोई चराग़ जला कर खुली हवा में रखो,
जो कश्तियाँ नहीं लौटीं उन्हें दुआ में रखो.
.
ग़ज़ब सितम है इसे यूँ अलग थलग रखना,
शराब ज़ह’र नहीं है इसे दवा में रखो.
.
इधर हैं बाढ़ के हालात और उधर सूखा,
हमारी दीदएतर अब, उधर फ़ज़ा में रखो.
.
शबाब हुस्न पे आया तो है मगर कम कम,
है मशविरा कि हया भी हर इक अदा में रखो.
.
तमाम फ़ैसले मेरे तुम्हे लगेंगे सही,
अगर जो ख़ुद को कभी तुम मेरी क़बा में रखो.  
.
ज़बां पे जो भी रहे वो निगाह में भी रहे,
ये तालमेल इरादों में ....इल्तिजा में रखो.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 855

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 14, 2016 at 7:42am

शुक्रिया आ. दिनेश भाई 

Comment by दिनेश कुमार on May 4, 2016 at 7:44pm
शराब ज़ह’र नहीं है इसे दवा में रखो.... सत्य वचन
हर शेर जलवा बिखेर रहा है आदरणीय निलेश भाई। वाह वाह
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 4, 2016 at 5:19pm

शुक्रिया आ. सौरभ सर, सुनील जी, समर सर , रवि सर ...ग़ज़ल पर इतनी विस्तृत चर्चा से मंच लाभान्वित हुआ है ...तीन चार दिन प्रवास में था अत: ऑनलाइन नहीं हो पाया ....
आप सब के स्नेह का आभार  

Comment by Ravi Shukla on May 3, 2016 at 2:49pm

आदरणीय नीलेश जी बहुत अच्‍छी गजल पेश की आपने इसी बहाने इस पर इतनी चर्चा हुई जानकारी मिली विद्वत जनों  के साथ आपको भी श्‍ेार दर शेर दिली मुबारक बाद । सादर

Comment by Sushil Sarna on May 3, 2016 at 1:20pm

शबाब हुस्न पे आया तो है मगर कम कम,
है मशविरा कि हया भी हर इक अदा में रखो.
.
तमाम फ़ैसले मेरे तुम्हे लगेंगे सही,
अगर जो ख़ुद को कभी तुम मेरी क़बा में रखो.

वाह आदरणीय नीलेश जी वाह .... क्या खूबसूरत अहसास उतारे हैं आपने .... दिलकश अशआर की इस ग़ज़ल के लिए दिल से शेर-दर-शेर बधाई स्वीकार करें।

Comment by Samar kabeer on May 2, 2016 at 9:40pm
जी नहीं,मुझे मॉलूम है कि निलेश जी डरने वाले नहीं,डराने वालों में हैं,हा हा हा...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 8:26pm

आदरणीय नीलेश भाई .. इतनी ज़ोरदार तरफ़दारी हमने किसी की नहीं की थी. आप अब हमें मिठाई भिजावाइये ..

:-))))

हा हा हा...............


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 8:24pm

:-))))

जय हो....  .. लेकिन अर्थ मेरे लिए यह निस्सृत हो गया कि ऐसे में ’ग़ज़ब’ का ’बड़ा’ हो जाय तो कमाल हो जाये. बस मुझे लगा आप ग़ज़लकार को क्लैस्ट्रोफोबिक (कम जगह में दम घुटने का) आतंक दे रहे हैं..

हा हा हा हा ........... 

अब हम भी सोरहो आने सुखी-सुखी हैं, हुज़ूर.. :-))

शुभ-शुभ

Comment by Samar kabeer on May 2, 2016 at 8:16pm
जनाब मेरी बात फिर से देखें,मेने निलेश जी पर ही छोड़ा था फैसला कि क्या 'ग़ज़ब'की जगह 'बड़ा'शब्द मुनासिब लगता है,ये ग्रेस मार्क ही तो था जनाब ।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2016 at 8:08pm

दुरुस्त ! 

हम दीद और दीदा (दीदः) से गड्डमड्ड कर रहे थे. कारण, दीदएतर में मेरा दीदः दीदा नहीं देख पा रहा था.. :-))

अब दिख गया !

अलबत्ता, ’ग़ज़ब’शब्द के प्रयोग पर आपने सही फ़रमाया है. लेकिन जिस अंदाज़ से ग़ज़लकार ने इस शब्द का प्रयोग किया है, उससे उसको ग्रेस मार्क मिल सकता है, मेरा निवेदन मात्र इतना ही है..

समर साब, दिल खुश कर दित्ता जी. .. :-)) 

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service