For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब से पिया गए परदेस ...


जब से पिया गए परदेस ...

प्रेम हीन अब
इस जीवन में
कुछ भी नहीं है शेष
जब से पिया गए परदेस//

नयन घट
सब सूख गए
बिखरे घन से केश
जब से पिया गए परदेस//

दर्पण सूना
हुआ शृंगार से
सूना हिया का देस
जब से पिया गए परदेस//

लगे दंश से
बीते मधुपल
दीप जलें अशेष
जब से पिया गए परदेस//

बिरहन का तो
हर पल सूना
रहे अश्रु न शेष
जब से पिया गए परदेस//

क्षणिक संचय
प्रेम क्षणों का
बना श्वासों का देस
जब से पिया गए प्रदेश//

स्मृति अमृत
वो निस्सीम नेह का
बना जीवन सुधा विशेष
जब से पिया गए परदेस//


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 853

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on May 6, 2016 at 2:19pm

आदरणीय रामबली गुप्ता जी प्रस्तुति में निहित भावों को आपकी आत्मीय प्रशंसा ने जो मान दिया है उसके लिए आपके तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by रामबली गुप्ता on May 6, 2016 at 4:54am
क्या बात है आदरणीय सुशील सरना जी जबरदस्त प्रस्तुति। आनंद आ गया सच में।
Comment by Sushil Sarna on May 5, 2016 at 7:31pm

आदरणीय डॉ. गोपाल नारायन  श्रीवास्तव जी प्रस्तुति में निहित भावों को मान देने का दिल से आभार। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 5, 2016 at 4:12pm
सुन्दर रचना आदरणीय सरना जी .
Comment by Sushil Sarna on May 4, 2016 at 7:18pm

आदरणीया   KALPANA BHATT    जी प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 4, 2016 at 2:44pm

वाह | बेहद सुंदर रचना | बधाई स्वीकारें आदरणीय सुनील सरना सर | 

Comment by Sushil Sarna on May 3, 2016 at 5:55pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी प्रत्युत्तर के लिए हार्दिक आभार। सर इसका ज्ञान तो है मुझे पर इस पर एडिटिंग करते ही पोस्ट पुनः लाइन में लग जाती है। शायद कमेंट्स भी डिलीट हो जाते हैं इसीलिये मैंने ये बात कही थी। फिर भी सुझाव के लिए हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 3, 2016 at 5:16pm

आदरणीय सुशील सरना सर, मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार.  पटल पर एडिटिंग संभव है बस आप इसी पृष्ठ पर ऊपर दिख रहे आप्शन को क्लिक कीजिये एडिटिंग के लिए आप्शन आ जायेगा -

Comment by Sushil Sarna on May 3, 2016 at 5:01pm

आदरणीय तेजवीर  सिंह जी रचना को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on May 3, 2016 at 5:00pm

आदरणीय मिथिलेश वमनकर जी प्रस्तुति में निहित भावों को इतना मान देने के लिए आपके दिल की असीम गहराईयों से हार्दिक आभार। आपके द्वारा रचना का संशोधित रूप भी मन को बहुत भाया। पटल पर तो एडिटिंग संभव नहीं लेकिन मैं इसे अपने  मूल सृजन में अवशय अपनाऊंगा। आपकी इस नेह का दिल से आभार सर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
12 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों को केंद्र में रख कर कही गई  इस उम्दा गजल के लिए बहुत-बहुत…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, अच्छी  ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. अपनी टिप्पणी से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही…"
yesterday
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service