For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बन प्रेम-प्रसून सुवासित हो,
उर में सबके नित वास करो।

मद-लोभ-अनीति-अधर्म तजो,
धर धर्म-ध्वजा नर-त्रास हरो।।

सत हेतु करो विषपान सदा,
नहि किंचित हे! मनुपुत्र! डरो।

सदभाव-सुकर्म-सुजीवन का,
जग में प्रतिमान नवीन धरो।।1।।

पथ में अति काल-बवंडर से,
नहि किंचित कंत! कदापि डरो।

करके दृढ़-निश्चय साहस से,
हिय धीर धरे नित यत्न करो।।

हर रोक-रुकावट-विघ्न मिटे,
जब सिंह समान हुँकार भरो।

निज-लक्ष्य-समर्पित-साधक का,
तुम वीर! नया प्रतिमान धरो।।2।।

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 521

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 12, 2016 at 11:19pm

आदरणीय भाई रामबली गुप्ताजी, आपकी दुर्मिल पर कामयाब कोशिश मुग्ध कर रही है. वैसे तनिक और संयत होते तो यह प्रस्तुति और सहज हुई होती. जैसे, खड़ी हिन्दी (हिन्दुस्तानी) की रचनाओं में नहीं को नहि न किया करें. वैसे आदरणीय गोपालनारायन जी ने तजो और धरो जैसे शब्दों पर उठायी है. मगर मैं उनकी आपत्ति पर संतुष्ट नहीं हूँ. कारण कि ये दोनों शब्द हिन्दी के भी हैं. 

आपके प्रयास पर हार्दिक बधाई और शुभकमनाएँ 

Comment by रामबली गुप्ता on May 6, 2016 at 8:00pm
हृदयतल से सादर आभार आद.गोपाल नारायण जी, आद. सुशील सरना जी एवं आद.समर कबीर जी
Comment by Sushil Sarna on May 6, 2016 at 6:38pm

हर रोक-रुकावट-विघ्न मिटे,
जब सिंह समान हुँकार भरो।

निज-लक्ष्य-समर्पित-साधक का,
तुम वीर! नया प्रतिमान धरो।।2।।
बहुत सुंदर आदरणीय रामबली जी , सुंदर शब्द चयन, प्रवाह में कसावट ... क्या बात है। हार्दिक बधाई सर जी।

Comment by Samar kabeer on May 6, 2016 at 6:29pm
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,इस सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 6, 2016 at 4:08pm
आदरणीय , ११२ पर 'प्रतिमान' व्यंजक अच्छी प्रस्तुति-- तजो और धरो शब्द से बचना चाहिए था क्योंकि सवैय्या खडी बोली में है . अकविता के युग में छंद का स्वागत है .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
13 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
14 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service