For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बस स्टैंड पर बस से उतरते ही सुखिया का चेहरा खिल उठा। पिताजी टैक्सी वाले से बात करने लगे, तो उसने टोकते हुए कहा- "नहीं बापू, हम पैदल ही चलेंगे, हम शहर घूमते हुए चलेंगे, सामान भी कोई ज़्यादा नहीं है न!"
" न बेटा, टैक्सी वाले ने बताया है कि मानस भवन तो बहुत दूर है! शहर बाद में घुमा देंगे!"-
पिताजी ने कहा।
फिर दोनों टैक्सी पर सवार हो गए। जैसे ही टैक्सी ने रफ़्तार पकड़ी, सुखिया पहले तो सपनों में खो गया, फिर गाड़ियों की आवाज़ों और होर्न के शोरगुल ने उसे बेचैन कर दिया। पिताजी ने उसे बाँहों में समेट लिया। मानस भवन पहुंचने पर सुखिया के पिताजी का चेहरा खिल उठा। आज उनका एक छोटा किन्तु खास सपना पूरा होने वाला था। समय पर पहुंचने के कारण दसवें क्रमांक पर सुखिया का पंजियन हो गया था। दोनों सभागार में जाकर बैठ गये। अब बारी-बारी से प्रतिभागी अपनी प्रस्तुति देने लगे थे।
आठवें, नौवें क्रमांक के बाद जब दसवें क्रमांक पर सुखिया का नाम नहीं पुकारा गया, तो पिताजी ने पूछताछ की। पता चला कि सुखिया का नाम पैंतीसवें स्थान पर कर दिया गया है।
"साहब, हमारे बेटे का नाम तो दसवें नंबर पर था! बहुत अच्छा कलाकार है साहब, थोड़ी कृपा हो जाये!" उन्होंने विनती की।
बाप-बेटे दोनों की ग्रामीण वेशभूषा देखकर कार्यकर्ता ने कहा-"क्या प्रतिभा है इसमें?"
"साहब, बढ़िया सुर-ताल में होरी, गारी, दादरा, सभी लोकगीत गा लेता है और बाँसुरी भी सुर में बजा लेता है!"
"हाँ, तो इसीलिए नाम पीछे करवा दिया है सर ने! वो क्या है कि मुख्य अतिथि नेताजी सपरिवार पधार चुके हैं, तो पहले लड़कियों का डांस-वांस होगा, फिल्मी आइटम सोंग होंगे, बाद में ही बाक़ी चीज़ें, समझे!"
इस जवाब को सुनकर सुखिया का जोश ठंडा पड़ गया। उसके पिताजी ने ऊपर लगे बैनरों पर नज़र डाली, जिन पर नेताजी की तस्वीरों के साथ लिखा हुआ था- "ज़िले की नैत्रहीन प्रतिभाओं का सम्मान कार्यक्रम"
शहर की आबोहवा दोनों को महसूस होने लगी।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 860

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on May 19, 2016 at 11:28am
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत सुंदर रचना हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Rahila on May 19, 2016 at 11:24am
बहुत अच्छी रचना आदरणीय उस्मानी जी! हक़ीकत उजागर करती इस प्रस्तुति के लिये बहुत बधाई ।सादर
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 19, 2016 at 10:22am
बहुत सुन्दर रचना श्री मान बधाई हो
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 18, 2016 at 6:24pm
बेहद उम्दा लघुकथा तहे दिल से मुबारक आ.
Comment by Lalit Nageshwar Maharaj on May 18, 2016 at 3:06pm

आज के माहौल में यही तो होता है भाई साहब. क्या सुन्दर रचना है.

Comment by Shyam Narain Verma on May 18, 2016 at 11:14am
बहुत उम्दा , बधाई इस लघुकथा के लिए ..सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service