For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 2122 212 

नाम को गर बेच कर व्यापार होना चाहिए
दोस्तों फिर तो हमें अखबार होना चाहिए

आपके भी नाम से अच्छी ग़ज़ल छप जायेगी
सरपरस्ती में बड़ा सालार होना चाहिए

सोचता हूँ मैं अदब का एक सफ़हा खोलकर
रोज़ ही यारो यही इतवार होना चाहिए

क्या कहेंगे शह्र के पाठक हमारे नाम पर
छोड़िये, बस सर्कुलेशन पार होना चाहिए

हम निकट के दूसरे से हर तरह से भिन्न हैं
आंकड़ो का क्या यही मेयार होना चाहिए

नो निगेटिव न्यूज का मुद्दा मुनासिब आपका
गैर वाज़िब बात का प्रतिकार होना चाहिए

खो गया है ये कहीं विज्ञापनों के ढेर में
बीच में इनके कही अखबार होना चाहिए

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1180

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on June 16, 2016 at 5:28pm

आदरणीय डा आशुतोष जी आपकी टिप्‍पणी मोबाईल पर ओ बी ओ एप पर पढ ली थी किन्‍तु आभार व्‍यक्‍त करने में नेट वर्क ने साथ नहीं दिया गजल पसंद करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्‍यवाद

Comment by Ravi Shukla on June 16, 2016 at 5:27pm

आदरणीय डा आशुतोष जी आपकी टिप्‍पणी मोबाईल पर ओ बी ओ एप पर पढ ली थी किन्‍तु आभार व्‍यक्‍त करने में नेट वर्क ने साथ नहीं दिया गजल पसंद करने के लिये आपका बहुत बहुत धन्‍यवाद

Comment by Ravi Shukla on June 16, 2016 at 5:26pm

आदरणीय गिरिराज जी भाई जी आपसे सदैव ही मार्गदर्शन और सराहना मिलती रही है जिससे कुछ नया सोचने को मिलता है आपको गजल पसंद आई बहुत बहुत आभार । सादर

Comment by Ravi Shukla on June 14, 2016 at 12:33pm
आदरणीया राजेश दीदी आपकी हौसला अफजाई से उत्साहित है हम बहुत बहुत आभार आपका
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 12, 2016 at 11:52am

आदरणीय रवि सर ..आनंद आ गया  बिलकुल ताजगी से भरी रचना है ..अख़बार के माध्यम से सुंदर सन्देश देती इस रचना के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Rahul Dangi Panchal on June 12, 2016 at 9:30am
लाजवाब मजा आ गया आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 11, 2016 at 1:36pm

वाह वाह आ० रवि भैय्या अखबार वालों के आज के हालात की अच्छी खबर ली है आपने बिलकुल अलग तरह की शानदार ग़ज़ल कही है 

एक शेर मेरा भी----

कौन सच्ची कौन झूठी है खबर विश्वास क्या    

छापने का भी कोई आधार होना चाहिए 

तहे दिल से बहुत बहुत बधाई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 11, 2016 at 7:49am

आदरणीय रवि भाई , आपकी ये गज़ल पहले भी सुनी थी आपसे और सराही भी थी , पुनः इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाइयाँ । एक शे र इस ग़ज़ल के लिये और --

जिस क़दर प्रश्रय मिला है देश मे गद्दार को
हमको लगता है हमें , गद्दार होना चाहिये

Comment by Rajendra kumar dubey on June 11, 2016 at 7:38am
आदरणीय रवि शुक्ला जी एक बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक शुभकामना।
Comment by Ravi Shukla on June 10, 2016 at 5:33pm

आदरणीय शेख शहजाद जी, आदरणीय अनुज जी , आदरणीय अशोक जी , आदरणीय महर्षि जी और आदरणीय सौरभ जी आप सबका गजल पंसद करने के लिये बहुत बहुत आभार 

अखबार पढ़ने की आदत पर उसकी व्‍यवसायिकता ने विपरीत असार डाला है, पर हमारे यहां आने वाले दोनों अखबार ही एक दूसरे से इस मामले मे प्रतिस्‍पर्द्धा कर रहे है। मुखपृष्ठ  जिसके बारे में इलाहाबाद में आदरणीय धीरेन्‍द्र शुक्‍ल जी ने हमें बताया कि उसे जैकिट कहा जाता है उसे ही ये विज्ञापन के हवाले कर देते हैं।

कई बार तो अखबार का पृष्‍ठ इस तरीके से मोड कर सैट करते है कि पढना ही दूभर हो जाता है और वह अंमित पृृष्‍ठ हाथ से छूटता रहता है गर्ज ये कि पहले उसे देख ले । इसी खीझ का परिणाम है ये गजल ।

आदरणीय सौरभ भाई जी आपकी शेर के साथ मिली दाद का हार्दिक स्‍वागत है। स्‍नेेह बनाये रखें । अगर ये गजल पसंद आई तो इसके लिये ओ बी ओ से मिला ज्ञान और मंच पर मौजूूद सभी साथी इसके लिये धन्‍यवाद के पात्र है । यही से गजल कहना सीख रहे है ।

सादर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह .. वाह वाह ...  आदरणीय अशोक भाईजी, आपके प्रयास और प्रस्तुति पर मन वस्तुतः झूम जाता…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई जी, आयोजन में आपकी किसी रचना का एक अरसे बाद आना सुखकर है.  प्रदत्त चित्र…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service